- प्रथम दिन मां के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की हुई पूजा
देवीपुर/संवाददाता। प्रखंड के कई दुर्गा मंदिरों में कलश स्थापन के साथ नवरात्र की पूजा शुरू हो गयी। प्रथम दिन मां के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा विधिवत की गयी। इससे के पूर्व देवीपुर बाजार स्थित दुर्गा मंदिर, शंकरपुर भोजपुर स्थित दुर्गा मंदिर, हुसैनाबाद नव निर्मित दुर्गा मंदिर, कसाठी स्थित दुर्गा मंदिर, दरंगा स्थित दुर्गा मंदिर, तिलौना और बंदगारी दुर्गा मंदिर, मनियारपुर मोड़ पर स्थित दुर्गा मंदिर, भैंसिया गांव स्थित दुर्गा मंदिर, अमडीहा दुर्गा मंदिर आदि समेत कई दुर्गा मंदिर में आयोजन किया गया। जानकारी हो कि देवीपुर बाजार स्थित दुर्गा मंदिर में 1956 से ही सर्वप्रथम दरबारी लाल मोदी और पंडित स्व. चक्रधर झा ने यजमान मुनीजी के साथ सात वर्षो तक केवल कलश स्थापन कर मां भगवती की पूजा कर अराधना की गई थी। बाद में पंडित चक्रधर झा ने देवीपुर केन्दुआ के ग्रामीणों की बैठक आयोजित कर भगवती की प्रतिमा स्थापित कर पूजा करने लगे। उन्होंने अपने जीवन काल में दरबारी लाल के सहयोग से नवमी और दशमी को भव्य मेला का आयोजन किया। तब से लेकर अब तक करीब 66 वर्षो से दुर्गा पूजा का भव्य आयोजन किया जा रहा है। बता दें अष्टमी को महिलाएं, पुरुष, छोटे-छोटे बच्चे बच्ची द्वारा आस-पास के कुंआ से दंड देते दुर्गा मंदिर तक आते हैं। वर्तमान में पंडित विजय पांडेय देवीपुर स्थित दुर्गा मंदिर में पूजा अर्चना कर रहे है एवं दर्जनों युवा कार्यकर्ताओं द्वारा पूजा में बैठकर नवरात्रि की शुरुआत की। पूजा को सफल बनाने में दुर्गा पुजा समिति केन्दुआ देवीपुर के अध्यक्ष गोपाल सिंह, सत्यवान कुमार, राजेश मंडल, अरुण बरनवाल, राजेश बरनवाल, राजमनी मंडल, हरेराम मंडल, सुबोध कुमार, चन्द्रमोहन कुमार, शिवनन्दन बरनवाल, उपेन्द्र कुमार, सुशील मौदी, रतन कुमार, नरेश दास, देवनारायण दास आदि समेत सभी सदस्यों अहम भूमिका देखा जा रहा है। जबकि कसाठी में करीब 200 वर्षों से दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है। शारदीय नवरात्र को लेकर चहुंओर भक्ति की बयार बहने लगी है। वहीं दरंगा में 1989 से से नुनुलाल मंडल ने अपने खर्च पर मां वैष्णवी दुर्गा पूजा की शुरुआत की। 2007 में उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र एवं समाजसेवी संजय मंडल ने यजमान के रूप में एवं आचार्य के रूप कन्हैयालाल मिश्र द्वारा मा का प्रतिमा बैठाकर विधि विधान पूर्वक किया जा रहा है। साथ संजय मंडल ने बताया कि दशमी और एकादशी के दिन भव्य मेला का आयोजन दरंगा में किया जाता है और एकादशी के दिन ही पास के तालाब में मां की प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा।
शक्ति की भक्ति में लीन हुए श्रद्धालु
मधुपुर/संवाददाता। अनुमंडल के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कलश स्थापना के साथ शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो गया | विभिन्न पूजा पंडालों में तथा श्रद्धालु अपने घरों में कलश स्थापन कर मां की आराधना में लीन हो गए। विद्वान पंडितों द्वारा पूजा पंडालों और श्रद्धालु अपने घरों में कलश स्थापना कर मां का आह्वान करते हुए पूजा अर्चना की। प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा की गई। बताया जाता है कि पर्वतराज हिमालय के यहां पुत्री के रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका शैलपुत्री नाम पड़ा था। नवरात्रि पर्व मां दुर्गा की आराधना, भक्ति और परमात्मा की शक्ति की पूजा का सबसे शुभ और अनोखा अवधि माना जाता है। माता के सभी शक्तिपीठों का महत्व अलग-अलग है, लेकिन माता का स्वरूप एक ही है।
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्रियम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते के मत्रोउच्चारण से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। नौ दिनों तक शक्ति स्वरूपा देवी के नौ रूपों की पूजा होगी। यहां के श्री श्री सिद्धेश्वरी दुर्गा मंदिर, मिलन संघ खलासी मोहल्ला ,पंच मंदिर दुर्गा मंदिर, गांधी चौक दुर्गा मंदिर, हटिया दुर्गा मंदिर, पुल पार दुर्गा मंदिर, लालगढ़, गड़िया, न्यू कॉलोनी, कालीपुर टाउन, डंगाल पाड़ा, मछुआटांड़, नया बाजार सहित अन्य दुर्गा मंदिरों में विधिवत कलश स्थापना कर मां की आराधना की गई। शारदीय नवरात्र को लेकर श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है।