गोड्डा। कार्यालय संवाददाता स्थानीय नगर परिषद में टेंडर विवाद का मामला गहराता जा रहा है। आरोप है कि 15वें वित्त आयोग की राशि से शहरी क्षेत्र में होने वाले कार्यों के आवंटन में नगर परिषद अध्यक्ष ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए जम कर अनियमितता बरती है। आरोपों के मुताबिक, अध्यक्ष ने मनमानी करते हुए अपने सगे भाई एवं चहेतों को करोड़ों रुपए का कार्य आवंटित करवाया है। करीब 16 करोड़ रुपए की लागत से 12 ग्रुपों का टेंडर हुआ था, जिसमें पांच ग्रुप का काम अध्यक्ष ने अपने सगे भाई एवं एक नजदीकी चहेते को दिलाने का काम किया है। मामला उपायुक्त के संज्ञान में आने के बाद जहां कार्य पर रोक लगा दी गई है वहीं जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई है। इधर नगर परिषद अध्यक्ष ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार करते हुए कहा है कि शहर के विकास को अवरुद्ध करने का षड्यंत्र नाकामयाब होगा। दरअसल, 15वें वित्त आयोग की राशि से शहरी क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए कुछ माह पूर्व टेंडर निकला था। बताया जाता है कि 16 करोड़ की राशि से शहरी क्षेत्र में विभिन्न विकास कार्यों के लिए 12 ग्रुप में काम निकला था। ठेकेदार राजीव मंडल, अमित प्रधान, रिजवान आरिफ ने आरोप लगाया है कि नगर परिषद अध्यक्ष ने अपने सगे भाई एवं अपने कुछ चहेते नजदीकी ठेकेदारों को ठेका दिलाने के लिए अपने पद का जम कर दुरुपयोग किया है। आरोप है कि नगर परिषद में इन दिनों टेबल टेंडर का दौर चल रहा है। जिस कार्य का ओपन टेंडर होता है उसके आवंटन में भी अध्यक्ष द्वारा दबाव डाल कर जम कर अनियमितता कराई जा रही है।
क्या कहते हैं अध्यक्ष
नगर परिषद से हुए सोलह करोड़ के टेंडर विवाद मामले में पहली बार नगर परिषद अध्यक्ष जितेंद्र कुमार उर्फ गुड्डू मंडल ने अपना बयान जारी किया है। उन्होंने सीधे तौर पर नाम न लेते हुए कुछ माननीय पर आरोप लगाते हुए कहा है कि कुछ माननीय शहर के विकास को रोकने की साजि़श रच रहे हैं, लेकिन वे इस षड्यंत्र में नाकामयाब होंगे। उन्होंनेे कहा है कि जिन कुल 12 ग्रुपों का टेंडर तीन माह पूर्व हो चुका था, संवेदकों को कार्य भी आवंटन किया गया था, उसे किस परिस्थिति या फिर दबाव में रोका गया, यह समझ से परे है। संवेदक राजीव मंडल ने उन पर आरोप लगाया है, उसके खुद का फर्म साहिबगंज जिला में ब्लैकलिस्टेड है। एक ब्लैकलिस्टेड ठेकेदार के आवेदन पर आवंटित कार्य को रोकना संवैधानिक नहीं है। नगर परिषद अध्यक्ष ने कहा कि इन सभी योजनाओं का शिलान्यास खुद उन्होंने किया है। निविदा संबंधित कार्य क्रय समिति करती है। नगर परिषद की क्रय समिति में कुल छह सरकारी पदाधिकारी शामिल रहते हैं। कुल 12 ग्रुप में आठ संवेदकों को कार्य आवंटन हुआ है। जैसा कि आरोप लगाया जा रहा है कि एक उनका भाई का फर्म है, जो ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला बनता है। लेकिन उनको पता होना चाहिए उनके भाई का फर्म एसके इंटरप्राइजेज वर्ष 2011 से नगर परिषद में कार्य कर रही है। जब वह नगर परिषद के अध्यक्ष नहीं थे, उसी समय से उनका भाई नगर परिषद में ठेकेदारी का कार्य कर रहा है। इसलिए आरोप लगाने वाले को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का पूरा ज्ञान नहीं है। उन्होंने कुछ मीडिया कर्मियों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पद की एक गरिमा है, कोई भी राह चलता आदमी के बात पर खबर चलाने से बचें। अध्यक्ष ने कहा कि जिस सुरूची देवी के आवेदन पर कार्य रोका गया, वह आज तक क्यों नहीं मीडिया के समक्ष आती हैं। इस पूरे मामले में षड्यंत्र की बू आ रही है। अगर वरीय पदाधिकारी शहर के विकास के साथ खिलवाड़ करते हैं तो वे स्वयं वार्ड पार्षद के साथ सड़क पर उतरने को बाध्य होंगे।