आरोप प्रमाणित होने के बाद भी आरोपी अधिकारियों की मौज
करप्शन के तलबों तले रौंदा गया सरकार और हाकिमों का आदेश
हालात ऐसे कि मुजरिम ही बन बैठे सरपंच और हाशिये पर इंसाफ
8 महीने बाद भी धूल फांक रही कार्रवाई की फाइल
गिरिडीह। संवाददाता। गिरिडीह पीएचइडी-2 में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सरकारी जांच परास्त हो रही है। जांच में आरोप प्रमाणित होने के बाद भी कार्रवाई की फाइल को दाब कर रखा गया है। आलम ये है कि सरकार और हाकिमों का आदेश भ्रष्टाचार के पैरों तले रौंदा जा रहा है। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे गिरिडीह के दो लोगों ने आठ महीने पहले पूरे साक्ष्य के साथ विभाग में वित्तीय व आर्थिक अनियमितता को लेकर सवाल उठाया था। दोनों ने मामले से मुख्यमंत्री, राज्यपाल, मुख्य सचिव तक को अवगत कराया। मगर, अब जांच के बाद आरोप प्रमाणित होने के बाद भी कार्रवाई नहीं होने से उनकी लड़ाई भ्रष्टाचार के आगे हांफ रही है। आरोप पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल-2 के कार्यपालक अभियंता मुकेश कुमार मंडल, प्रधान लिपिक माधो शर्मा व कनीय अभियंता जहेंद्र भगत पर था। लेकिन, अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। लिहाजा, आरोपी अभियंता व कर्मियों का मनोबल बढ़ा है। लगभग 8 महीने बीत जाने के बाद भी आरोपियों पर कार्रवाई नहीं की गयी है। जाहिर है कि आरोपित अभियंताओं व कर्मियों का जबरदस्त गठजोड़ विभागीय वरीय अधिकारियों से होने का यह साफ संकेत है।
क्या है मामला?
बता दें कि गिरिडीह के न्यू बरगंडा निवासी मुकेश कुमार सिंह और पंजाबी मोहल्ला निवासी एक व्यक्ति ने दो अलग-अलग परिवाद पत्र देकर पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल गिरिडीह-2 में व्याप्त अनियमितता व भ्रष्टाचार से संबंधित परिवाद पत्र अक्टूबर 2022 में दिया था। उन्होंने कार्यपालक अभियंता मुकेश कुमार मंडल और कनीय अभियंता जहेंद्र भगत पर सांठ-गांठ कर सरकारी मिस्त्री से चापानल मरम्मत करवाकर संवेदकों के साथ टेंडर मैनेज कर राशि की निकासी करने का आरोप लगाया था। वहीं न्यू बरगंडा निवासी मुकेश कुमार सिंह ने कार्यपालक अभियंता मुकेश कुमार मंडल व प्रधान लिपिक माधो कुमार शर्मा पर कलस्टर व एसवीएस से संबंधित योजनाओं में संवेदकों से पैसे की भी मांग किए जाने, गलत कागजातों के आधार पर कार्य आवंटित करने और संविदा में कार्यरत ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर विनायक सत्य को कार्य आवंटित किए जाने की शिकायत की थी। जिस पर विभाग ने समीक्षा के बाद विभागीय उड़न दस्ता टीम को पत्रांक 04/आ0-01 1018/2022-311 के तहत जांच का आदेश दिया था।
-जांच टीम और विभाग का उपेक्षापूर्ण रहा रवैया
विभागीय उड़न दस्ता टीम का शुरू से ही रवैया उपेक्षापूर्ण रहा। काफी विलंब से जांच टीम ने जांच शुरू की और एक लंबे अंतराल के बाद लगभग साढ़े तीन माह बीत जाने पर जांच रिपोर्ट विभाग को सौंपी। जांच टीम के अध्यक्ष मुख्य अभियंता दुमका प्रक्षेत्र जो कि कार्यापालक अभियंता मुकेश कुमार मंडल के नजदीकी रिश्तेदार हैं, से विभाग ने जांच करायी जो खुद सवाल खड़ा करता है। जांच टीम ने कई मामलों में लीपापोती की। हालांकि, कुछ आरोप जांच टीम ने जांच के दौरान सिद्ध भी किया।
-अभियंताओं व कर्मियों पर आरोप हो चुका है प्रमाणित
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग प्रमंडल-2 गिरिडीह के आरोपित पदाधिकारियों व कर्मियों पर संवेदक विनायक सत्य को लाभ पहुंचाने का व कई अन्य आरोप प्रमाणित हो चुका है। लेकिन, इसके बावजूद विभाग मौन है और आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। संवेदक विनायक सत्य को लाभ पहुंचाने में अधीक्षण अभियंता धनबाद अंचल रियाज आलम पर भी आरोप प्रमाणित हुआ है जिसका पत्रांक संख्या 04/आ0-01/1018/2022-2706 दिनांक 9/05/23 है। जिसमें विनायक सत्य को पीडब्ल्यूडी कोड 2012 के नियम 160 में निहित प्रावधान का उल्लंघन करते हुए संवेदक को लाभ पहुंचाने, नियमों का उल्लंघन करने और पदीय दायित्व के निर्वहन में लापरवाही बरतने का आरोप प्रमाणित हो चुका है। इसके बावजूद इनपर भी किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जांच टीम 2 महीने पूर्व जांच रिपोर्ट विभाग को समर्पित कर चुकी है, लेकिन विभाग के ढुलमुल रवैये से मामले की लीपापोती का प्रयास किया जा रहा है।
-राज्यपाल, सीएम, मुख्य सचिव को भी दिये गये आवेदन
दोनों परिवादियों ने इन सभी मामलों को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, विभागीय मंत्री मिथिलेश ठाकुर समेत कई वरीय अधिकारियों को इस मामले में लगातार आवेदन दिया। मामले में राज्यपाल को भी आवेदन दिया गया। लेकिन, इसके बावजूद आरोपित लोगों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। इससे प्रतीत होता है कि सरकार में आरोपित पदाधिकारियों व कर्मियों की जबरदस्त पकड़ है। लिहाजा, सरकार भी इन लोगों पर कार्रवाई करने से पहले संकोच कर रही है।
-भ्रष्टाचार उजागर करने को लेकर मिल चुकी है धमकी
पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल-2 के अभियंता व कर्मियों के विरूद्ध लिखने पर दोनों परिवादियों को कई बार धमकी मिल चुकी है। जिसकी शिकायत राज्य के वरीय अधिकारियों व पुलिस अधीक्षक गिरिडीह से भी की गई है। इसके बावजूद इन लोगों पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही है।
-एसीबी जांच का हो चुका है आदेश
परिवादी मुकेश कुमार सिंह ने कार्यपालक अभियंता मुकेश कुमार मंडल व प्रधान लिपिक माधो शर्मा के विरूद्ध मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग (निगरानी) के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर इस मामले में विशेष जांच की मांग की थी। जिस पर मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग ने मामले की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और तकनीकी परीक्षक कोषांग रांची से कराने का आदेश दे दिया है। इस पर जांच शुरू भी हो गयी है। अब देखना यह है कि इन अभियंताओं व कर्मियों पर कोई कार्रवाई होती है या नहीं।