-कार्तिक पूर्णिमा पर पूजा करने मंदिरों में उमड़ी भीड़
-सापाहोड़ ने पूर्णिमा पर की लक्ष्मी की पूजा
पाकुड़/पंच टीम। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मंगलवार को लोगों ने विभिन्न मंदिरों में पूजा-पाठ किया। शहर के सिंधीपाड़ा स्थित साईं गोविन्द राम हिर्दूमल गुरुद्वारा और सिंधी पंचायत भवन में गुरु नानक जयंती के अवसर पर सिक्ख व सिंधी समाज के द्वारा विशेष प्रार्थना किया गया। इसके साथ तीन दिनों से चल रहे अखंड पाठ का भी समापन किया गया। गुरुनानक देव की जयंती के अवसर पर गुरुद्वारा में सिख और सिंधी समुदाय के अलावा अन्य समुदाय के लोगों की भीड़ देखी गई। जयंती पर गुरुद्वारा में आयोजित लंगर में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने उपस्थित हो कर प्रसाद ग्रहण किया। अखंड पाठ को सफल बनाने में दर्जनों लोगों ने सक्रिय भूमिका निभायी। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं ने पश्चिमबंगाल के धुलियान, जंगीपुर, फरक्का स्थित गंगा नदी में जा कर स्नान किया और पूजा पाठ कर दान किया। शहर स्थित मंदिरों में सुबह से ही पूजा-अर्चना को लेकर भक्तों की भीड़ देखी गई। हिरणपुर प्रखंड में पूर्णिमा के अवसर पर उल्लास देखा गया। प्रखंड समेत ग्रामीण क्षेत्र के लोग अपने-अपने नजदीकी पोखर, नदी, झरना में स्नान ध्यान कर मंदिरों में पूजा-अर्चना किया। प्रखंड के रानीपुर गांव के निकट बहने वाली परगला नदी के तट पर आदिवासी समुदाय के सापाहोड़ बड़ी संख्या में जमा हुए और फिर सामूहिक रूप से स्नान कर लक्ष्मी की पूजा पूरे नेम निष्ठा के साथ किया। पूजा के बाबत गुरु ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी पूजा करने की परंपरा पूर्वजों के द्वारा प्रारंभ किया गया था और इसे आज भी निभाया जाता है। महेशपुर प्रखंड के बासलोई नदी समेत अन्य तालाब, झरना में स्नान कर लोगों ने कार्तिक पूर्णिमा पर मठ मंदिर में पूजा-अर्चना किया। इस अवसर पर आदिवासी सफाहोड़ के लोगों ने प्रखंड के कैराछातर स्थित प्रसिद्ध भौरी बाबा स्थान पहुंच कर पूजा-अर्चना किया। गोपीकांदर, पाकुड़िया, आमड़ापड़ा, महेशपुर समेत विभिन्न क्षेत्रों से आये लोगों ने प्रखंड के बांसलोई नदी में स्नान कर जल भर कर भौरी स्थान के लिए रवाना हो गये। लोगों ने भौरी बाबा स्थित शिव मंदिर में पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की। आमड़ापाड़ा प्रखंड के सभी मंदिरों में पूर्णिमा को लेकर श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना किया। पूर्णिमा के अवसर पर नदी, तालाब में स्नान कर आस्था प्रेमियों ने पंडितों को दान-दक्षिणा भी दिया।