पूर्व विधायक फाल्गुनी प्रसाद यादव की 6वीं पुण्यतिथि पर विषेश
चन्द्रमंडीह। एक साधारण किसान परिवार में जन्में पूर्व विधायक फाल्गुनी यादव की 6वीं पुण्यतिथि 21 जनवरी को मनाई जाएगी। फाल्गुनी जी ने चकाई विधानसभा का चार बार प्रतिनिधित्व किया। संगठन व भाजपा में उनकी काफी अच्छी पकड़ थी। जिस कारण पार्टी के शीर्ष नेता भी उनकी बातों को गंभीरता से लेते थे। कुशल राजनीतिज्ञ होने के कारण पार्टी उन्हें देश के अन्य भागों में भी भेजकर पार्टी कार्य में लीन रखते थे। उनके बारे में कहा जाता है कि वे सादगी के प्रतिमुर्ति थे। सादगी की प्रतिमूर्ति रहने के कारण उन्होंने कभी सिद्धंात से समझौता नहीं किया। दिखावा, झुठी आडंबर को कभी उन्होंने अपने आसपास नहीं आने दिया। रात के ग्यारह बजे तक बगैर सुरक्षा के गांव में घुमते हुए देखे जाते थे। जिस कारण उन्हें लोग अजातशत्रु भी कहा करते थे। सच्चे समाजसेवक कार्यकताओं के लिए समर्पित रहने की प्रवृति होने के कारण जो लोग उनके प्रारंभिक कार्यकाल में उनके साथ हुए थे, वे अंतिम समय तक उनके साथ ही रहे। चकाई के सरस्वती बटपार में साधारण किसान के घर जन्मंे फाल्गूनी जी बचपन से ही काफी प्रतिभावान थे। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा चकाई से प्राप्त की एवं उच्च शिक्षा के लिए देवघर गये। आर्थिक स्थिति ठीक नही रहने के कारण बच्चों को ट्यूशन पढ़ाके उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। उन्हें शिक्षा से काफी लगाव था। इसलिये उन्होंने 1981 में चकाई में एक कॉलेज की स्थापना की। उनके अभिन्न करीबी रहे भाजपा नेता अंगराज राय बताते हैं कि वे युवा अवस्था से ही काफी जीवट थेे। एक बार जो ठान लिया, उसे पूरा करके ही दम लेते थे। अपनी जीवटता के ही बल पर वे चकाई से चार बार विधायक एवं 1998 में बिहार राज्य प्राक्कलन समिति के भी अध्यक्ष रहे। पार्टी में भी कई पदों पर रहे। उन्होंने शिक्षक के रूप में भी काम किया। उनका सपना था कि चकाई अनुमंडल बने। 1977 के चुनाव में जनता पार्टी से टिकट नही मिलने पर उन्होने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना पर्चा दाखिल किया और चुनाव जीते। इसके बाद 1979 में विधानसभा के लिए हुए मध्यावधि चुनाव में भाजपा के टिकट पर फिर जीतकर विधानससभा पहंुचे। इसी तरह 1995 और 2005 के चुनाव में भी जीतकर विधानसभा पहंुचे। विषम समय में भी पार्टी नही छोड़ी, यही वजह रहा की पार्टी में उनकी लोकप्रियता काफी रही। चकाई में इंटर एवं डिग्री कॉलेज की स्थापना उनकी बड़ी उपलब्धि के रूप में हमेशा याद किया जायेगा।