जामताड़ा/संवाददाता। जामताड़ा जिला में मानो विधि-व्यवस्था चौपट सी हो गयी है। एक विभाग के सहायक अभियंता से लेकर कनीय अभियंता कई विभागों का काम देख रहे हैं। ऐसा नहीं है कि जिले में सहायक अभियंता या कनीय अभियंता की कमी है। लेकिन पैरवी और खादी के बल पर कुछ एक ऐसे पदाधिकारी को एक साथ कई विभाग का प्रभार दिया गया है। ये पदाधिकारी अपने विभाग को छोड़ कर दूसरे विभाग का काम देख रहे हैं। ऐसी स्थिति में ये पदाधिकारी अपना काम ठीक से नहीं कर पा रहे हैं। नियमित रूप से कार्य स्थल का भ्रमण तक नहीं कर पा रहे हैं। संवेदक के द्वारा क्या किया जा रहा है, उससे इन लोगों को कुछ भी लेना देना नहीं है। सिर्फ और सिर्फ अपना पीसी से मतलब है। चाहे वो लघु सिंचाई विभाग हो या स्पेशल डिवीजन हो या अन्य विभाग हो, सभी विभाग का यही हाल है। जबकि झारखंड सरकार के जल संसाधन विभाग के सचिव ने पंत्रांक संख्या 3290 के माध्यम से यह स्पष्ट किया था कि किसी भी विभाग के कार्यपालक अभियंता, सहायक अभियंता और कनीय अभियंता दूसरे विभाग का कार्य नहीं देख सकते हंै। लेकिन यहां के कार्यपालक अभियंता हो या अन्य अभियंता इन लोगों ने नियम को ताक पर रखते हुए दूसरे विभाग का काम भी देख रहे हैं। ऐसी स्थिति में आप कार्य की गुणवक्ता क्या हो सकती है, इसका अंदाजा लगा सकते हैं।
गोचर भूमि पर पुल बनाये जाने की खबर पर ईई ने कुछ भी बताने से किया इनकार
-संबंधित संवेदक पर रिपोर्टरों ने लगाया तीखे शब्द प्रहार का आरोप
जामताड़ा/संवाददाता। पिछले दिनों जिला परिषद अध्यक्ष के बयान पर कई दैनिक अखबार में नारायणपुर प्रखंड के चिरूडीह से गुंदलीपहाड़ी में बन रहे पुल की खबर को प्रकाशित किया था। जिसमें जिला परिषद सदस्य दीपिका बेसरा ने कहा था कि पुल का निर्माण गौचर और वन भूमि में किया जा रहा है। 27 मई को दैनिक समाचार पत्रों में यह खबर छपी थी। खबर का असर ये हुआ कि ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता मुकेश कुमार बमबम बीमार हो गये। बताया जाता है कि विधायक आवास पर संबंधित संवेदक ने मंगलवार को रिपोर्टरों के विरुद्ध तीखे शब्द प्रहार भी किये।
क्या है मामला
ग्रामीण विशेष प्रमंडल के द्वारा नारायणुपर प्रखंड के चिरूडीह से गुंदलीपहाड़ी में करीब 04 करोड़ की लागत से पुल का निर्माण कराया जा रहा है। जिप सदस्य ने बयान दिया कि उक्त पुल का निर्माण गौचर जमीन में कराया जा रहा है। इस बात को गंभीरता से लेते हुए समाचार प्रकाशित किया गया।
क्या कहते हंै कार्यपालक अभियंता
कार्यपालक अभियंता मनोज कुमार बमबम से इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि सीओ से भूमि जांच प्रतिवेदन लेने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। लेकिन चार दिन बीत जाने के बाद जब उनसे ये पूछा गया कि भूमि जांच प्रतिवेदन आया। तो उनका जवाब था कि उनकी तबीयत खराब है।