मधुपुर/संवाददाता। मधुपुर अनुमंडल के करौं बाजार स्थित गढ़वे बाबा मंदिर में वार्षिक पूजा बुधवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। पूजा को लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है। पूजा को सफल बनाने के लिए बाजार वासी उत्साह से जुटे हुए हैं। पूजा को लेकर मंदिर एवं आसपास साफ-सफाई कर ली गई है। पूजा में हजारों लोगों का जुटान होगा। पूजा के अवसर पर लोग बुधवार को मिट्टी के बने घोड़े, फल, मूल, नारियल, केला, सेब, आदि आदि बाबा गड़वे को अर्पित करेंगे। पूजा के अवसर पर सैकड़ो मुर्गा, कबूतर एवं बकरे की बलि दी जाएगी। रजवार समुदाय के लोग मंदिर में लोगों को पूजा-अर्चना कराएंगे। संध्या में खिचड़ी प्रसाद का वितरण किया जाएगा।
गड़वे बाबा का इतिहास : ज्ञात हो कि बाबा गड़वे साहब इस क्षेत्र के ग्राम रक्षक देवता हैं। गड़वे बाबा रात्रि में सफेद घोड़ा में चढ़कर पूरे आसपास के क्षेत्र भ्रमण कर रक्षा करते हैं। पूर्वजों के अनुसार वर्षों पहले बाजार क्षेत्र में डकैती करने के उद्देश्य से लुटेरे मंदिर होकर पार कर रहे थे उसी समय मंदिर के पास से मधुमक्खियां के झुंड ने हमला बोल दिया जिससे डकैत भाग निकले।
विधायक ने किया मेले का उद्घाटन
मोहनपुर। संवाददाता। मोहनपुर प्रखंड क्षेत्र के अंतर्गत तपोवन में मंगलवार को मकर संक्रांति पर देवघर विधायक सुरेश पासवान, जिला परिषद सदस्य गीता मंडल, हरकट्टा पंचायत के मुखिया हीरा देवी ने संयुक्त रूप से फीता काटकर मेले का उद्घाटन किया। इस अवसर पर दो दिवसीय मेले का आयोजन किया गया है। मौके पर समाजसेवी अर्जुन तांती, विनय यादव सुनील यादव, प्रमोद यादव,कृष्णा यादव, राजद युवा जिलाध्यक्ष नवीन देव यादव, युवा नेता धीरज कुमार यादव समेत दर्जनों से अधिक नेता व कार्यकर्ता उपस्थित थे।
भूमि पूजन के नाम पर विकास योजनाओं को बाधित कर रहे विधायक : रणधीर
- पूर्व मंत्री ने कहा कि इस मसलोें को लेकर जनता के बीच जाएंगे
चितरा/संवाददाता। पूर्व मंत्री रणधीर सिंह मंगलवार को अपने सहरजोरी आवासीय कार्यालय में प्रेसवार्ता किया और वर्तमान सारठ विधायक उदय शंकर सिंह पर बगैर नाम लिये कई गंभीर आरोप लगाते हुए उनपर विकास कार्य बाधित करने का दावा किया। पूर्व मंत्री रणधीर सिंह ने कहा कि मेरे अनुसंशा पर सारठ विधानसभा क्षेत्र में लगभग 1700 करोड़ की योजनाएं धरातल पर लाने का काम किया है। जिसमें कई योजनाओं पर काम किया जा रहा है तो कई योजनाएं शुरू की गई है और बहुत सारी योजनाएं निविदा प्रक्रिया में भी है। कहा कि योजनाओं का स्वीकृत कराने के साथ हमने विधानसभा चुनाव के पूर्व योजनाओं का शिलान्यास भी किया था। लेकिन वर्तमान विधायक द्वारा विभागीय अधिकारियों एवं संवेदकों पर दवाब बनाकर भूमि पूजन के नाम पर कई ऐसे योजनाओं का काम रोक दिया गया है। साथ ही संवेदकों का आर्थिक दोहन भी किया जा रहा है। कहा कि इस तरह के कई मामले क्षेत्र में मुझे देखने को मिल रहा है। जिसमें मुख्य रूप से चरकमारा से खखड़ा पुल, तलझारी से बस्की पुल, खरवाजोरी से गंगटी घाट का पुल का काम अभी तक शुरू होने नहीं दिया गया है। वहीं तेतरिया मोड़ से कपसा पुल, खरना से फुलचुंवा पुल, बरमसिया से बरमसिया आदिवासी टोला का पुल, शिखर नवाडीह से बरमसिया पुल, बगजोरिया से बाराटांड पुल समेत अन्य कई मामले शामिल है। इसके अलावा पीडब्ल्यूडी, आरईओ विभाग के तहत स्वीकृत 70 ऐसे सड़कें है जिसका मरम्मती कार्य होना है और कई नई सड़क निर्माण कार्य भी शामिल है। ऐसे तमाम लगभग योजनाओं पर काम रोका गया है। उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा लाए गए योजनाओं पर भूमि पूजन कर वर्तमान विधायक अपनी उपलब्धि गिना रहे हैं। कहा कि उपलब्धि वे लें, लेकिन विकास का काम बाधित क्यों कर रहे हैं। ऐसे तमाम मुद्दों को लेकर मैं जानता के बीच जाऊंगा और लोगों को बताऊंगा कि वर्तमान विधायक किस तरह विकास विरोधी काम कर रहे हैं और भोली-भाली जनता के आंखों पर धूल झोंकने का काम कर रहे हैं।
मकर संक्रांति पर मछली की भी खूब हुई बिक्री
सारठ/संवाददाता। सारठ के बाजारों में तिल संक्रांति के अवसर पर बाजारों में मंगलवार को मांसाहारी पंसदीदा लोगों के लिए अधिक मछली खरीदने वालों की भीड़ देखी गई। ग्राहक सुभाष साह, बबलू सिंह बताते हैं कि अन्य दिनों की तुलना तिल संक्रांति के दिन मछली की कीमतों मे थोड़ी तेजी रही। मीट, मुर्गा के बाजारों से अधिक खरीददारों की भीड़ मछली के बाजारों में देखी गई। दुकानदार जोनेद शेख बताते है कि मछली सभी समुदायों के लोग पसंद भी करते है, इसलिए ठंड में भी मछली का बाजार में भीड़ जुटना स्वाभाविक बताया। मछली विक्रेता उमेश कापरी, सुरेश कापरी, राजेश कापरी, दशरथ कापरी ने बताया कि इस त्यौहार में मछली का बाजार संतोषप्रद बताया।
भुभुकदहा गर्म कुंड पर संक्रांति मेला आज
- कुंड पर पत्थर व पानी की पूजा करते हैं आदिवासी समुदाय के लोग
मधुपुर/संवाददाता। अनुमंडल के पंदनिया पंचायत के द्वारपहाडी स्थित भुभुकदहा गर्म कुंड पर भव्य संक्रांति मेला का आयोजन होगा। मेला मैदान के समीप शिव मंदिर में मकर संक्रांति पर पूजा अर्चना के बाद खिचड़ी
प्रसाद का वितरण किया जाएगा। बताया जाता है कि द्वारपहाड़ी भुभुकदाहा में मकर संक्रांति पर मेला लगने की परंपरा विगत कई दशकों से चली आ रही है। मेला के दिन मंदिर में पूजा अर्चना के पश्चात प्रसाद के रूप में खिचड़ी तैयार कर श्रद्धालुओं के बीच वितरण किया जाता है। दोपहर बाद मेला का आयोजन किया जाता है। मेला में मारगोमुंडा, पिछड़ी, भंडारों, पिपरा, पंदनिया, पट्टाजोरी, फागो, फुलची, राजधाहा, तीनघरा, जोरासीमर, सुगापहाड़ी, रामपुर, पुरानी व नई चिहुंटिया, केंदुआटांड़, सिमराढ़ाब, मुर्गाडंगाल, प्रधानी मोड़, एकद्वारा, डेलीपाथर, चोरकट्टा, किशनपुर आदि के लोग पहुंचकर मेला का आनंद लेते हंै।
भुभुकदहा गर्मकुंड के लिए प्रसिद्ध : बताया जाता है कि द्वारपहाड़ी में मेला देखने की खास वजह यह है कि यहां पर मेला मैदान के निकट गर्म जलकुंड है। जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां पर आते हैं। इसके साथ ही मकर संक्रांति के मौके पर गर्म जलकुंड और जलकुंड के निकट बने मंदिर में पूजा करने लोग यहां पहुंचते हैं। जिसके कारण ही लोगों की भीड़ जुटने से मेला लगना पिछले कई दशक से शुरू हो गया है। बताया जाता है कि कुंड जल से कई असाध्य चर्म रोग ठीक होता था। यहां कोई पुजारी पूजा नही करते हंै। परंपरा के अनुसार आदिवासी ही यहां पत्थर और पानी की पूजा करते हंै। वर्तमान मे देखरेख के अभाव में जर्जर हो गया है। ग्रामीणों ने गर्म जलकुंड को विकसित कराने की मांग सरकार से की है। कहा कि देखरेख के चलते जलकुंड का महत्व धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। जलकुंड की खासियत यह है कि ठंड के दिनों में भी यहां से गर्म पानी निकलता है। जिसे देखने की भीड़ यहां सालों भर लगी रहती है। मधुपुर से सीधे आने का सरल रास्ता है। पंदनिया मोड़ से भुभुकदहा 15 से 20 मिनट में पहुंचा जा सकता है। यहां लोग पिकनिक भी मनाने पहुंचते हैं।
हर्षोल्लास के साथ मनाया गया मकर संक्रांति का पर्व
चितरा/संवाददाता। चितरा कोलियरी क्षेत्र में स्नान दान का महापर्व मकर संक्रांति हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर श्रद्धालुगण स्थानीय नदी, तालाबों में आस्था का डुबकी लगाकर भगवान सूर्य की उपासना की। वहीं दूसरी ओर कोलियरी क्षेत्र में स्थित दुखिया बाबा शिव मंदिर, मां छिन्नमस्तिका काली मंदिर, गणेश पार्वती मंदिर, शनि महाराज मंदिर, राधा माधव मंदिर, राम दरबार मंदिर सहित अन्य मंदिरों में श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से पूजा अर्चना कर सुख-समृद्धि के लिए मंगल कामना किया। पूजा-अर्चना के पश्चात लोगों ने अपने अपने घरों में दही-चूड़ा, तिल-गुड के लड्डू सहित अन्य स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लिया। इधर आज बुधवार को मकर संक्रांति के दूसरे दिन आसनबनी अजय नदी घाट पर व बह्मशोली स्थित सती कुंड घाट पर मेला का आयोजन किया जाएगा।
संक्रांति पर मारवाड़ी युवा मंच ने मनाया पतंग उत्सव
- गरीबों के बीच किया कंबल का वितरण
मधुपुर/संवाददाता। स्थानीय कुंडू बंगला रोड स्थित श्याम मंदिर प्रांगण में मंगलवार मकर संक्रांति पर मारवाड़ी युवा मंच मधुपुर शाखा के द्वारा पतंग महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें युवक-युवती, महिलाएं व पुरुष शामिल हुए। बेहतर प्रदर्शन करने वाले लोगों को मारवाड़ी युवा मंच के द्वारा सम्मानित किया गया। मौके पर पतंगबाजी महोत्सव समेत मनोरंजन के साथ-साथ विभिन्न प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं। जिसमें बच्चों से लेकर महिला-पुरुष तक ने उत्साहपूर्वक भाग लेते हुए पतंग उड़ाया और दही-चूड़ा, तिलकुट का लुत्फ उठाया। वही पतंग महोत्सव आयोजन ने पूरे माहौल को ऊर्जा और जोश से भर दिया। मंच के सदस्यों ने बताया की पतंग उड़ाने की परंपरा को जीवंत रखने और सभी वर्गों को एक मंच पर लाने के लिए यह आयोजन किया गया है।इसके साथ ही युवा मंच के द्वारा गरीब-असहाय जरूरतमंदों ंंके बीच कंबल व खिचड़ी का वितरण किया। इस आयोजन में मारवाड़ी महिला समिति एवं दादी नारायणी समिति का सहयोग सराहनीय रहा।
बलियापुर में एक दिवसीय क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन
- षष्टी इलेवन विजेता घोषित
चितरा/संवाददाता। स्वर्गीय मनभूल महतो मेमोरियल क्लब के बैनर तले क्रिकेट मैदान सरसबाद बलियापुर में मंगालवार को एक दिवसीय त्रिकोणीय सीरीज खेला गया, जिसमें बतौर मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व कृषि मंत्री रणधीर कुमार सिंह मौके पर मौजूद थे । इस अवसर पर उन्होंने स्वर्गीय मनभूल महतो की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर सभी खिलाड़ियों और दर्शकों के साथ संयुक्त रूप में श्रद्धांजलि देने के बाद विधिवत बल्लेबाजी कर टूर्नामेंट का उद्घाटन किया।
बताते चलें कि सरसबाद ओर बलियापुर के वर्तमान और पूर्व खिलाड़ियों के बीच बने तीन टीम राजेश इलेवन, राहुल इलेवन और षष्ठी इलेवन के बीच खेला गया। फाइनल मुकाबला राजेश इलेवन बनाम षष्ठी इलेवन के बीच खेला गया। जिसमें टॉस हारकर बल्लेबाजी करने उतरी षष्टी इलेवन टीम ने निर्धारित 6 ओवर में 66 रन बनाकर राजेश इलेवन को 67 रन का लक्ष्य दिया। जिसके जवाब में राजेश इलेवन ने 4 विकेट के नुकसान पर केवल 61 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। इस तरह 5 रन से षष्ठी इलेवन इस टूर्नामेंट का विजेता घोषित हुआ। विजेता और उपविजेता को पूर्व मंत्री रणधीर सिंह के हाथों ट्रॉफी और नगद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। मौके पर राजेश महतो, राहुल महतो, षष्ठी महतो, आकाश, विकास, नरसिंह, अनिल, सनभूल, अजय, विजय, सुमित, विष्णु, सुनील, पवन, गणेश, कृष्णा, अविनाश, सागर, मनीष, कुंदन रजवार, जितेंद्र, हीरालाल, प्रकाश, विक्की रजवार आदि उपस्थित थे।
परमार्थ साधन के दो उपाय हैं अभ्यास व वैराग्य : स्वामी भाष्कर आरण्य
- कापिल मठ में मकर संक्रांति पर सामूहिक पाठ का आयोजन
मधुपुर/संवाददाता। स्थानीय बावनबीघा स्थित सांख्य-योग के विश्व प्रसिद्ध कापिल मठ में मकर संक्रांति के अवसर पर सामूहिक पाठ का आयोजन किया गया। साधनारत स्वामी भाष्कर आरण्य ने पाठ के उपरांत शिष्यों की जिज्ञासा पर कहा कि परमार्थ साधन के दो उपाय हैं, अभ्यास और वैराग्य। इन दो शब्दों का आम तौर पर पारमार्थिक विषय में व्यवहार होने पर भी लौकिक व्यवहार में भी इनका प्रयोजन देखा जाता है। अभ्यास यानी किसी क्रिया या भावना का बार-बार आचरण। बार-बार आचरण करना ही अभ्यास है। देखा जाता है कि विद्या, धन आदि के उपार्जन में भी उनके अनुकूल विषय में अभ्यास करना होता है और उनके प्रतिकूल विषय में वैराग्य करना होता है। परमार्थ विषय में भी उसका व्यक्तिक्रम नहीं है। अभ्यास के फलस्वरुप कर्म में निपुणता होती है। दुखमूल हेय विषय में जो अभ्यास है वही दोषपूर्ण अभ्यास है और मंगलदायक विषय में जो अभ्यास है वही सादाभ्यास है। हम जो कुछ करते हैं उसका संस्कार बनता है। यह उपमामूलक बात है असल में क्रिया को बार-बार करने से वह क्रिया सहजसाध्य या अनायाससाध्य होती है। वही निपुणता और उसका हेतु ही संस्कार है। अभ्यास और वैराग्य ग्रहण और त्यागस्वरूप है। मौके पर मठ के दर्जनों शिष्य उपस्थित थे
कापिल मठ के शिष्यों ने किया कंबल और फल का वितरण
मधुपुर/संवाददाता। बावनबीघा स्थित कापिल मठ के शिष्यों ने मकर संक्रांति के अवसर पर सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में भ्रमण कर कंबल और फल वितरण किया। स्वामी करुणा प्रकाश के नेतृत्व में मठ के शिष्य कजरा, टंडेरी, चरपा, बिल्ली, जमुनी, रामपुर आदि गांव में जाकर ग्रामीणों के बीच कंबल और फल वितरण किया। आदि मुनि कपिल के संबंध में विस्तारपूर्वक बताया। ग्रामीणों को यम, नियम, अहिंसा, सत्य, अस्तेय आदि अष्टांग योग के अभ्यास से जीवन में शांति होने की बात बताई। मठ के शिष्य चुन्नीलाल पटेल ने बताया कि प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रमण कर कंबल वस्त्र और फल वितरण की परंपरा अनवरत चल रही है। मठ के शिष्य इस परंपरा को कायम रखने के लिए अपना सहयोग करते हैं।
जियामाता की पूजा से पूरी होती है दंपतियों की मनोकामनाएं
- सुनी गोद भरती है माता
सारवां/संवाददाता। प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत जियाखाड़ा के जियामाता मंदिर में पूजा-अर्चना से दंपतियों की मनोकामनाएं पूरी होती है। पूजा से प्रसन्न होकर माता सुनी गोद भर देती है। मकर संक्रांति पर आज मां की वार्षिक पूजा हुई। पूजा के बाद यहां तीन दिवसीय मेला का आयोजन 15 जनवरी से होगा। जिसमें झारखंड, बिहार एवं बंगाल से श्रद्धालु पूजा करने आते हैं। इस दरवार में आने वाले लोगों की मां मुराद पूरी करती है। यहां की विशेषता है कि इस मंदिर में कोई पुरूष पुजारी नहीं होता है। महिला पुजारी द्वारा माता की पूजा की रस्में पूरी करायी जाती है। कहा जाता है कि नि:संतान महिलाओं को माता के मंदिर के बगल में अवस्थित पोखर में स्नान कर मां की पिंडी की पूजा अर्चना करने के बाद अपने आंचल का एक टुकड़ा कर उक्त स्थल पर अवस्थित बरगद पेड़ की शाखाओं में टांग देना पड़ता है। फिर पुजारिन द्वारा पिंडी से अरवा चावल प्रसाद के रूप में दिया जाता है। जिसे कुछ खाकर एवं शेष प्रसाद को लेकर बिना पीछे देखे अपने घर चले जाना पड़ता है। सात दिन तक उसी चावल से खीर बना कर मां का ध्यान कर महिला को प्रसाद के रूप में नित्य ग्रहण करना पड़ता है। मां की कृपा से जब उक्त महिला को संतान की प्राप्ति हो जाती है तो अपने बच्चे का मुंडन कराने माता के दरबार आना पडता है। साथ में उन्हें काला बकरा लाना पड़ता है जिसे पिंडी के पास सिंदूर लगाकर छोड़ दिया जाता है। यहां बलि प्रथा वर्जित है। स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो अजय नदी किनारे पर मां की पिंडी होने के बाद भी नदी में कितना बाढ़ क्यों न आ गया हो पर माता की वेदी को छू नहीं पाया जबकि अन्य इलाका जलमग्न हो जाता है। मां की इस अद्भुत कृपा से स्थानीय लोग अनुगृहित हैं एवं किसी भी शुभ कार्य के पहले माता को मनाना नहीं भूलते।
धूमधाम से मनाया गया मकर स्रंक्रांति का पर्व
सारवां/संवाददाता। प्रखंड क्षेत्र में मकर संक्रांति का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर अहले सुबह लोगों ने स्थानीय नदियों के अलावा तालाबों में स्नान कर मंदिर पहुंचे और पूजा कर तिल व गुड़ का भोग बाबा को लगाया। मान्यता है कि भारतीय संस्कृति में सूर्य की गति का विशेष महत्व है। सूर्य भगवान दक्षिणायन से उत्तरायण मकर संक्रांति के दिन होते है जो धार्मिक व आध्यात्मिक दृष्टिकोण अत्यंत महत्वपूर्ण व शुभ माना जाता है। इस दिन से शुभ कार्य आरंभ हो जाते हैं। यह समय नई शुरुआत के साथ प्रगति का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है उत्तरायण के दौरान किये गये यज्ञ अनुष्ठान, पूजा का फल कई गुणा अधिक मिलता है। इस अवसर पर क्षेत्र के दुखियानाथ महादेव मंदिर सारवां, विशनपुर प्राचीन मां दुर्गा गहवर, बाबा मनकेश्वरनाथ वनवरिया, बाबा देवपहरीनाथ के साथ अन्य शिवालयों व मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गयी। पूजा में पंडित हनु झा, बालमुकुंद पांडे,नागो पांडे आदि ने अहम भूमिका निभायी।
सामूहिक शिकार के साथ ही सोहराय संपन्न
सारवां/संवाददाता। आदिवासी समाज के द्वारा प्रकृति की पूजा का पांच दिवसीय महान पर्व सोहराय सामूहिक शिकार के साथ समाप्त हो गया। इस अवसर पर क्षेत्र के एटवा, कुबरी, पथरलेडा, वनवरिया, जारा, ललुवाडीह, बाबूडीह, डकाय, भलविंधा, रोशन आदि गांवों से समाज के युवा अपने पारंपरिक हथियार तीर धनुष व कुल्हाड़ी के साथ जंगलों व पहाड़ों में शिकार को पहुंचे। शिकार में प्राप्त जंतुओं को मांझीथान में इकट्ठा कर घर-घर प्रसादी के रूप में वितरण किया गया। नायकी बाबा के साथ गांव के बाहर ऐराडम पेड़ को गाड़ कर उस पर तीर चलाकर निशाना साधा गया। मौके पर कालीचरण बास्की व श्रीमान किस्कू, राजेश हांसदा आदि ने बताया हमारी सभ्यता संस्कृति का प्रतीक है सोहराय।