चित्तरंजन। संवाददाता। चित्तरंजन रेलइंजन कारखाना में सेवारत संतोष कुमार साह, एसएसई/ट्रैक्श्सन-21/विद्युत विभाग, सौरव मंडल, जेई/आईएसओ सेल/विद्युत विभाग, बिष्णु दुबे, वरीय तकनिशियन/सीपीएच/विद्युत विभाग, सुब्रत हालदार, वरीय तकनिशियन/इएलएस-19, विद्युत विभाग, सतीश सिंह, वरीय तकनिशियन111/डब्लूएस-09, यांत्रिक विभाग, मगाराम भंडारी, तकनिशियन/एमटीएस-56/यांत्रिक विभाग, अविक कुंडू, एसई(आईअी)/आईटी केंद्र/लेखा विभाग और कुन्दन हाजरा, सीडीएमएस/स्टोर्स/जीएसडी/भंडार विभाग
को दिसंबर माह 2024 के लिए “मैन ऑफ द मंथ” अवार्ड से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार इनके असाधारण प्रदर्शन और समर्पित योगदान के लिए इन्हें दिया गया है। महाप्रबंधक विजय कुमार ने 14 जनवरी को इन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया गया। महाप्रबंधक ने इन सभी प्रतिभावान कर्मचारियों को बधाई दी।
श्री साह ने पहली बार इलेक्ट्रिक लोको शेड से लौटे असफल रोटर की डी-शाफ्टिंग और री-शिफ्टिंग का काम सफलतापूर्वक किया है। इससे रेलवे राजस्व की बचत हुई है।
श्री मंडल ने आईआरएस सहित आइएसओ प्रबंधन प्रणालियों के लिए बाहरी ऑडिट सफलतापूर्वक पूरा किया है। उन्होंने सीएलडब्ल्यू के सभी विभागों से संबंधित सभी कार्य निर्देश, आपातकालीन तैयारी और परिचालन नियंत्रण प्रक्रिया को हार्ड कॉपी से ई-ऑफिस के माध्यम से एक नए डिजिटल संस्करण में संशोधित किया,जो कागज की खपत को कम करने में मदद करता है।
श्री दुबे, टीटीसी में लाइब्रेरी में इन्वर्टर लाइन का कनेक्शन किया जहां मतपेटी रखी गई थी (ट्रेड यूनियन चुनाव)। एनेक्स-क एवं ख में 40 किलोवाट का डीजी सेट लगाया गया। केजीएच डायलिसिस केंद्र में केजीएच में 2 प्रति 10 केवीए की यूपीएस बैटरी को बदल कर बेहतर तरीके से कार्य किया।
श्री हालदार ने केबल बिछाने के कार्य के संबंध में मॉडिफाइड लोको, 12के ट्विन लोको, 9के लोको और अन्य संशोधन कार्यों में उत्कृष्ट कार्य किया है।चार दिनों के बजाय दो दिनों में टीपी कन्वर्सन लोको में केबल बिछाने का काम पूरा कर लिया है।
श्री सिंह ने व्हील शॉप में व्हील डिस्क के उत्पादन को हासिल करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। ये सभी सीएनसी वीटीएल मशीनों की प्रोग्रामिंग में संशोधन करने में भी सक्षम हैं। सीएनसी प्रोग्रामिंग में मशीनीकृत व्हील डिस्क की गुणवत्ता में सुधार किया।
श्री भंडारी ने अमृत भारत डब्लूएपी-5 और डब्लूएजी-9ट्विन (इएफ-12के) के स्केल डाउन मॉडल के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसे नवंबर 2024 में प्रशासनिक भवन में स्थापित किया गया है।
श्री कुंडू ने बकाया किराया और बिजली शुल्क की वसूली के लिए विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। इसके अतिरिक्त उन्होंने सीएलडब्ल्यू वेबसाइट पर एक लिंक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे विक्रेताओं को अपने पंजीकरण की लाइव स्थिति को ट्रैक करने की अनुमति मिली। लागत निर्धारण मैनुअल के विकास में, विशेष रूप से प्रारूपण और डिज़ाइन में उनका महत्वपूर्ण योगदान अत्यधिक सराहनीय रहा है।
श्री हाजरा के नेतृत्व में टीएम शॉप एवं व्हील शॉप में निर्धारित समयावधि में कचरा साफ किया गया है। उन्होंने मुख्य शॉप क्षेत्रों के विभिन्न स्थानों पर रखी बेहिसाब सामग्रियों को इकट्ठा करने के लिए भी विशेष प्रयास किए हैं।
मारवाड़ी युवा मंच ने किया मकर संक्राति पर तुला दान का आयोजन
गौशाला हमारी संस्कृति, परंपरा व धार्मिक आस्था का प्रतीक : मंच
जामताड़ा। संवाददाता। गौशाला प्रांगण में गौशाला कमिटी की ओर से तुलादान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कमिटि की ओर से संबोधन में कहा गया कि इस पावन आयोजन के लिए एकत्रित हुए जन अपने आप में अत्यंत प्रेरणादायक और सौभाग्यशाली हैं। मारवाड़ी युवा मंच जामताड़ा शाखा सबसे पहले गौशाला कमिटी को हृदय से धन्यवाद देती है, जिनके अथक प्रयासों और समर्पण ने इस कार्यक्रम को संभव बनाया। गौशाला हमारी संस्कृति, परंपरा और धार्मिक आस्था का प्रतीक है। गाय को हमारी भारतीय संस्कृति में माता का दर्जा दिया गया है और उसका संरक्षण हमारा परम कर्तव्य है। तुलादान का यह आयोजन न केवल एक धार्मिक क्रिया है बल्कि यह हमारी परंपराओं और समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी का प्रतीक भी है। इस कार्यक्रम में सभी शाखाओं ने जिस उत्साह और सहयोग से भाग लिया है, वह यह दिखाता है कि जब हम मिलकर कार्य करते हैं, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं रहता। यह न केवल हमारी एकता का प्रतीक है बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा भी है। तुलादान की यह परंपरा हमें यह सिखाती है कि हमें अपने जीवन में संतुलन बनाए रखना चाहिए। जैसे तुलादान में दान का महत्व है, वैसे ही हमें अपने जीवन में परोपकार, दया और सेवा का भाव बनाए रखना चाहिए। मारवाड़ी युवा मंच के पदाधिकारियों ने सभी सहयोगियों, आयोजकों और उपस्थित गणों का आभार प्रकट किया गया। हम सब मिलकर यह प्रण लें कि गौशाला की उन्नति और गाय माता के संरक्षण के लिए सदैव प्रयासरत रहेंगे।
करमदाहा मेला एक सांस्कृतिक धरोहर, जहां हर साल उमड़ती है हजारों की भीड़
जामताड़ा। संवाददाता। जिले के नारायणपुर प्रखंड स्थित करमदाहा का प्रसिद्ध दुखिया बाबा मंदिर परिसर सजकर तैयार है। हर साल की तरह इस साल भी 15 दिवसीय मेला का आयोजन किया जा रहा है, जो मकर संक्रांति के मौके पर शुरू हो रहा है। इस ऐतिहासिक मेले का उद्घाटन 15 जनवरी, बुधवार को झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी करेंगे। उद्घाटन के साथ ही मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं और पर्यटकों का जुटना शुरू हो जाएगा। मेला कमेटी के अध्यक्ष इलियास अंसारी ने इस बात की जानकारी दी और बताया कि मेले की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है।
करमदाहा मेला एक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में जाने जाता है, जहां न केवल धार्मिक अनुष्ठान होते हैं, बल्कि मनोरंजन और खरीदारी के ढेर सारे विकल्प भी होते हैं। यह मेला बराकर नदी के तट पर स्थित दुखिया बाबा मंदिर के आसपास आयोजित होता है, जो हर साल हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है। मेले में बच्चों और बुजुर्गों के लिए विशेष मनोरंजन के साधन उपलब्ध होते हैं, जिससे यह मेला हर आयु वर्ग के लोगों के लिए आकर्षक बन जाता है। धार्मिक अनुष्ठान, पारंपरिक गीत-संगीत, और विविध प्रकार की दुकानों के साथ मेले में उत्सव का माहौल बना रहता है। करमदाहा मेला सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा है और यह मेला कई नामों से जाना जाता है, जिनमें ‘खिचड़ी मेला’ और ‘करमदाहा मेला’ प्रमुख है। यह मेला प्राचीन काल से चलता आ रहा है और इसे लेकर कई ऐतिहासिक किस्से भी प्रचलित हैं। एक समय था जब यह इलाका मानभोम जिले का हिस्सा हुआ करता था, जो आज धनबाद के नाम से जाना जाता है। मेला के बारे में कहा जाता है कि यहां के लोग बराकर नदी में स्नान करने के बाद अपने बुरे कर्मों से मुक्ति पाते थे और इसीलिए इसे ‘करमदाहा’ नाम दिया गया। यह मेला राजा-महाराजाओं के पिकनिक स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध था, जहां वे आकर मनोरंजन करते थे।
करमदाहा मेला अब पहले की तुलना में छोटा जरूर हो गया है, लेकिन इसका आकर्षण आज भी बरकरार है। पहले यह मेला एक महीने तक चलता था, लेकिन अब यह केवल 15 दिन का आयोजन है। मेला में अब केवल झारखंड से ही नहीं, बल्कि बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से भी लोग आने लगे हैं। इस मेले में विभिन्न प्रकार की दुकानों के अलावा खेल तमाशे, झूलों, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है। इस साल मेला क्षेत्र में सुरक्षा के दृष्टिकोण से और भी कड़े इंतजाम किए गए हैं। करमदाहा मेला पहुंचने के लिए दो प्रमुख रास्ते हैं। पहला रास्ता पांडेयडीह होते हुए करीब 18 किलोमीटर और दूसरा रास्ता कालीपहाड़ी होते हुए लगभग 10 किलोमीटर है। दोनों ही रास्तों पर ऑटो और अन्य साधन उपलब्ध रहते हैं, जिससे मेला स्थल तक पहुंचना आसान हो जाता है।
जामताड़ा में साइबर ठगी का तीन साइबर आरोपी गिरफ्तार
मोबाइल फोन और सिम कार्ड बरामद
जामताड़ा। संवाददाता। पुलिस ने साइबर अपराधियों के खिलाफ बड़ी सफलता हासिल की है। पुलिस अधीक्षक डॉ एहतेशाम वकारीब को मिली गुप्त सूचना पर प्रशिक्षु साइबर डीएसपी चंद्रशेखर के नेतृत्व में एक टीम ने जामताड़ा जिले के बिंदापाथर थाना क्षेत्र से तीन साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों में मुरतजिम अंसारी, जैनुल अंसारी और लालू अंसारी शामिल हैं। पुलिस ने इन अपराधियों के पास से 6 मोबाइल फोन और 9 सिम कार्ड बरामद किए हैं। ये आरोपी “मैजिशियन ऐप” के माध्यम से लोगों को फोनपे पर कैशबैक का लालच देकर ठगी करते थे। ये ठग पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में सक्रिय थे और बड़े पैमाने पर लोगों को अपना शिकार बना रहे थे। इस मामले का खुलासा करते हुए जामताड़ा पुलिस अधीक्षक डॉक्टर एहतेशाम बकारीब ने साइबर थाना में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि इन ठगों ने हजारों लोगों से ठगी की थी। पुलिस ने इस मामले में साइबर थाना में 04/25 कांड संख्या दर्ज किया है और तीनों आरोपियों को जेल भेज दिया गया है। यह कार्रवाई पुलिस की बड़ी सफलता मानी जा रही है और जामताड़ा पुलिस ने इसे अपनी एक अहम उपलब्धि के रूप में प्रस्तुत किया है। पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि वे साइबर ठगी से बचने के लिए सतर्क रहें और किसी भी प्रकार के संदेहजनक कॉल या मैसेज का जवाब न दें।
संक्रांति पर सेंदरा के साथ संपन्न हुआ महापर्व सोहराय
कुंडहित। संवाददाता। मंगलवार को मकर संक्रांति के दिन बाघाशोला, ताराबाद, कालीपाथर, धोबना सहित प्रखंड क्षेत्र के तमाम आदिवासी गांवों में मनाया जा रहा पांच दिवसीय महापर्व सोहराय सामूहिक शिकार सेंदरा के साथ धूमधाम पूर्वक सम्पन्न हो गया। महापर्व सोहराय प्रकृति पूजा के साथ साथ भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है। महापर्व के पांचों दिन अलग अलग-अलग गतिविधियों का आयोजन कर हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। संक्रांति के दिन सूरज उगने के पहले समुदाय के लोग स्नान आदि कर तरह-तरह के पकवानों का भोजन कर पुरुष लोग सेंदरा यानी शिकार करने के लिए वन जंगल की ओर जाते हैं। ताराबाद गांव के माझी हड़ाम लखीश्वर टुडू एवं जयदेव मुर्मू, धोबना के कारोबारी हांसदा, साइलेन मुर्मू, जयसिंह मुर्मू ने बताया कि सोहराय पर्व आदिवासियों का महापर्व है, हम लोग मिल जुलकर सामुहिक रूप से यह पर्व मनाते हैं। मकर संक्रांति के दिन सूरज उगने के पहले स्नान आदि कर मरांग बुरू, गौशाई एरा, जोहार एरा आदि देवी-देवताओं की पूजा अर्चना की और प्रकृति तथा पशुधनों के प्रति आभार प्रकट किया। महापर्व के अंतिम दिन लोग विभिन्न प्रकार के पकवान बनाकर भोजन कर वन जंगल की ओर शिकार करने जाते हैं। पर्व के पांचों दिन गिला शिकवा भूलकर बच्चे, जवान, बुजुर्ग आपस में मिलकर मांदर की थाप पर झूमते गाते हैं। पर्व के दौरान आने वाले मेहमानों को विशेष तौर पर मंदिरापान कराकर उनका स्वागत किया जाता है। सोहराय के अंतिम दिन आदिवासी बहुल गांव में मांदर की थाप पर युवक-युवतियां बड़े बुजुर्ग सभी नाचते गाते हुए दिखे।
मकर संक्रांति के अवसर पर शीला नदी में लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी
कुंडहित। संवाददाता। मंगलवार को क्षेत्र में लोगों ने मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम से मनाया। बादलों से ढके आसमान, कोहरे और ठंड के सितम के बाबजूद लोगों ने अहले सुबह से ही सिद्धेश्वरी उर्फ शीला नदी के अलावे निकटवर्ती जलाशयों में आस्था की डुबकी लगाना शुरू कर दिया। दोपहर तक शीला नदी के अलावे विभिन्न जलाशयों में स्नान करने वालों की चहल-पहल देखने को मिली। मकर संक्रांति के दिन लोगों ने दही, चुड़ा, तिलकुट, पीठा के साथ ही विशेष तौर पर खिचड़ी का आनंद उठाया। इस दिन लोग दान करना शुभ मानते हैं बहुत सारे लोगों ने दान देकर मकर संक्रांति की परंपरा पूरी की। मकर संक्रांति के दिन कुंडहित के सिंह वाहिनी मंदिर सहित प्रखंड क्षेत्र के तमाम मंदिरों में लोगों की भीड़ उमड़ देखने को मिली सूर्य के उत्तरायण होने के बाद शुभ समय शुरू होने के उपलक्ष्य में लोगों ने पूजा अर्चना कर देवी देवताओं से मंगल कामनाएं की। मकर को लेकर क्षेत्र के पिकनिक स्थल भी सोमवार को गुलजार रहे क्षेत्र के प्रमुख पिकनिक स्थल कांदिहाड़ा में स्थानीय मेले का भी आयोजन हुआ।
विस अध्यक्ष ने महाकुंभ में लगायी आस्था की डुबकी
झारखंड वासियों के लिए खुशहाली की कामना
नाला। संवाददाता। झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रबीन्द्र नाथ महतो ने मकर संक्रांति के पावन अवसर पर अपने परिवार के साथ उत्तर प्रदेश प्रयागराज स्थित विश्व के विशालतम सांस्कृतिक समागम महाकुंभ के दूसरे दिन मंगलवार को त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाया। पूजा अर्चना कर भगवान सूर्य से झारखंड वासियों के लिए समृद्धि, खुशहाली और कल्याण की प्रार्थना किया। विस अध्यक्ष ने फेसबुक पैज पर फोटो शेयर करते हुए कहा है की महाकुंभ हमारे हजारों साल पुरानी आस्था, धार्मिक संस्कृति और आध्यात्मिक परंपरा से जुड़ा मानवता का उत्सव है। इस मौके पर विस अध्यक्ष के धर्मपत्नी सरमा देवी, पुत्र कुनाल कंचन सहित परिवार सदस्य उपस्थित थे।
हर्षोल्लास के साथ मनाया गया मकर संक्रांति
बिंदापाथर। संवाददाता। थाना क्षेत्र के सभी पंचायतों में मकर संक्रांति पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। मंगलवार सुबह हर हर बोम बोम के नारे से पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो उठा। मकर संक्रांति पर्व के अवसर पर शिला नदी के ताराबाद, हरिराखा, नामुजलांई, पीपला, मोहजुड़ी अजय नदी के लायबनी, हाथधरा, धोतला, कालाझरिया-आमलाचातर, डीमजुड़ी, मोहनपुर, माड़ालो आदि घाट पर क्षेत्र के लोगों ने पवित्र स्नान किया। अजय एवं शीला नदी के अलावा क्षेत्र के विभिन्न तालाब, जोड़िया एवं नदी-नहर में मकर स्नान करने के लिए सूर्योदय से पहले ही भीड़ लगी। इस मौके पर बिंदापाथर मुख्यालय स्थित शिवालयों में श्रद्धालुओं ने भोलेनाथ का दर्शन एवं पूजन किए। पुरानी परंपरा एवं आस्था के अनुरुप देवी-देवता की पूजा-अर्चना कर सुख, समृद्धि, सम्पन्नता, स्वास्थ्य, धन, यश, मान-सम्मान और उन्नति, प्रगति तथा विकास आदि की कामना किया। मकर संक्राति के अवसर पर स्नान का विशेष महत्व होता है मान्यता के अनुसार पवित्र स्नान करने से देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। मकर संक्राति के मौके पर तिल, पुआ पकवान के साथ-साथ दही, चूड़ा, मिट, मछली आदि खा कर धूमधाम के साथ पर्व को मनाया गया।
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टूसू पर्व मनाया गया
बिंदापाथर/संवाददाता आसछे बोछर आबार होबे की धुन में किया गया टुसू मणि का विसर्जन एक माह व्यापी टुसू महापर्व क्षेत्र में उत्सव व शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ। मकर संक्रांति के पावन अवसर टुसू मणि का विसर्जन पारंपरिक विधि-विधान के साथ किया गया। इस दौरान टुसू पर्व समिति कालाझरिया-अमलाचातर के द्वारा टुसू महापर्व के पावन अवसर पर मंगलवार को हर साल की भांति इस साल भी टुसू मेला का आयोजन किया गया। टुसू मणि विसर्जन के अवसर पर आयोजक कमेटी के सदस्य तथा श्रद्धालुओं ने उल्लास और भावुकता से भरे माहौल में टुसू मणि को विदाई दी। मालूम हो की कालाझरिया, अमलाचातर, आसनचूआं, बरजोड़ा, कटनकी, चिहुटिया, इंदुरहीड़, नेड़ाडीह, कोवपाड़ा, ठाकुरपाड़ा, भोगीकाटा सहित अन्य गांवों में टुसू महापर्व धूमधाम के साथ मनाया जाता है। अगहन संक्रांति के दिन इस पर्व का शुभारंभ होता है। सभी कुंवारी कन्याएं टुसू मणि को अपने-अपने घर व पवित्र स्थलों में स्थापित करती है और यह पूरे पूस महीने तक पूजा अर्चना व गीत संगीत का दौर चलता है। प्रतिदिन संध्या के समय टुसू मणि को फूल और पारंपरिक प्रसाद चढ़ाकर पूजा आराधना की जाती है। सभी कुंवारी कन्याएं मिलजुल कर संध्या समय उनकी आरती और टुसू के संबंध में मार्मिक गीत गाते हैं, जो एक माह मकर संक्रांति तक चलता है। मकर संक्रांति के दिन सभी टुसू मणि को एक सुंदर पालकी में सजाकर नाचते गाते हुए उसे नदी में नम आंखों से विदाई देते हैं और अगले वर्ष पुन: आने की प्रार्थना करते हैं। इस बारे में समाजसेवी रामचंद्र महतो एवं अशोक कुमार महतो ने कहा कि टुसू महापर्व प्रकृति की विशिष्ट पहचान है। यह मूलत: कृषक समाज का पर्व है जो किसानों के नियमों और परंपराओं को अक्षुण्ण रखने का पर्व है। उन्होंने कहा कि टुसू पर्व का झारखंड में एक विशिष्ट पहचान है तथा यह झारखंड की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत की एक विशिष्ट परंपरा है। इस मौके पर राम चन्द्र महतो, आनंद कुमार महतो,बबलू महतो, राकेश कुमार महतो, गोविंद प्रसाद सिंह, अर्जुन प्रसाद सिंह, जयदेव सिंह, गणेश प्रसाद सिंह, धनंजय महतो, नोमी कुमारी, शिल्पा कुमारी, पूजा कुमारी, बबली कुमारी, प्रफुल्ल महतो, सत्यानंद महतो, मदन महतो, रंजीत पंडित, गौर चंद्र महतो, फूलचंद महतो, निर्मल महतो, दुलाल मिर्धा, मिथुन सिंह, आकाश राणा, दीलिप मिर्धा, रिया कुमारी, दिनेश कुमार महतो, वैद्यनाथ महतो, अशोक कुमार महतो सहित काफी संख्या में स्थानीय लोग उपस्थित थे।