देवघर/वरीय संवाददाता। अपने वतन के यशस्वी बांग्ला उपन्यासकार आशापूर्णा देवी की पुण्यतिथि है। 13 जुलाई, 1995 को उनकी मृत्यु हुई थी। मौके पर स्थानीय विवेकानंद शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा संस्थान के केंद्रीय अध्यक्ष डॉ. प्रदीप कुमार सिंह देव ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आशापूर्णा देवी बांग्ला भाषा की प्रख्यात उपन्यासकार थीं, जिन्होंने मात्र 13 वर्ष की आयु में लिखना प्रारंभ कर दिया था और तब से ही उनकी लेखनी निरंतर सक्रिय बनी रही। वे मध्यवर्गीय परिवार से थीं, पर स्कूल-कॉलेज जाने का सुअवसर उन्हें कभी नहीं मिला। उनके परिवेश में उन सभी निषेधों का बोलबाला था, जो उस युग के बंगाल को आक्रांत किए हुए थे, लेकिन पढ़ने, गुनने और अपने विचार व्यक्त करने की भरपूर सुविधाएं उन्हें शुरू से मिलती रहीं। अपनी प्रतिभा के कारण उन्हें समकालीन बांग्ला उपन्यासकारों की प्रथम पंक्ति में गौरवपूर्ण स्थान मिला। उनके विपुल कृतित्व का उदाहरण उनकी लगभग 225 कृतियां हैं, जिनमें 100 से अधिक उपन्यास हैं। उनकी सफलता का रहस्य बहुत कुछ उनके शिल्प-कौशल में है, जो नितांत स्वाभाविक होने के साथ-साथ अद्भुत रूप से दक्ष है। उनकी यथार्थवादिता, शब्दों की मितव्ययिता, सहज संतुलित मुद्रा और बात ज्यों की त्यों कह देने की क्षमता ने उन्हें और भी विशिष्ट बना दिया। उनकी अवलोकन शक्ति न केवल पैनी और अंतर्गामी थी, बल्कि आसपास के सारे ब्योरों को भी अपने में समेट लाती थीं। मानव के प्रति आशापूर्णा का दृष्टिकोण किसी विचारधारा या पूर्वग्रह से ग्रस्त नहीं था। किसी घृणित चरित्र का रेखाकंन करते समय उनके मन में कोई कड़वाहट नहीं थी, वह मूलत: मानवप्रेमी थीं। उनकी रचनागत सशक्तता का स्रोत परानुभूति और मानवजाति के प्रति हार्दिक संवेदना थी। वे विद्रोहिणी थीं। उनका विद्रोह रूढ़ि, बंधनों, जर्जर पूर्वग्रहों, समाज की अर्थहीन परंपराओं और उन अवमाननाओं से था, जो नारी पर पुरुष वर्ग, स्वयं नारियों और समाज व्यवस्था द्वारा लादी गई थीं। उनकी उपन्यास-त्रयी, प्रथम प्रतिश्रुति, सुवर्णलता और बकुलकथा की रचना ही उनके इस सघन विद्रोह भाव को मूर्त और मुखरित करने के लिए हुई। उनके लेखन की विशिष्टता उनकी एक अपनी ही शैली है। कथा का विकास, चरित्रों का रेखाकंन, पात्रों के मनोभावों से अवगत कराना, सबमें वह यथार्थवादिता को बनाए रखते हुए अपनी आशामयी दृष्टि को अभिव्यक्ति देती हैं। इसके पीछे उनकी शैली विद्यमान रहती है।
माता भगवती की तांत्रिक विधि से पूजा शुरू
देवघर/वरीय संवाददाता। आषाढ़ मास सप्तमी तिथि को माता भगवती का पट आम भक्तों के लिए खोल दिया गया। इस बार भी हाथी पहाड़ फूल गजाड़ा समाज द्वारा माता की पूजा अर्चना शुरू की गई जो लगभग 100 वर्षों से की जा रही है। पुजारी शिबू महाराज, आचार्य सुबोध झा ने बताया कि माता की पूजा तांत्रिक विधि विधान पूर्वक किया जा रहा है। मां दुर्गा प्रतिमा की भव्य श्रृंगार किया गया है। बताते चलें कि आषाढ़ मास गुप्त नवरात्रि की यह पूजा सबसे पहले हाथी पहाड़ महादेवातरी में शुरू की गई थी। पूजा को सफल बनाने में अध्यक्ष विष्णुकांत नरौने, कोषाध्यक्ष कुलदीप पंडित, सदस्य सनी जजवाडे, रबु खवाड़े, निलेश मिश्रा, लड्डु नरौने, निखिल केशरी लगे हुए हैं।
सावन माह में अपनी आमदनी बढ़ाने को लेकर महिलाएं भी जुटी
- अगरबत्ती निर्माण में आयी तेजी
देवघर/वरीय संवाददाता। जहां एक ओर सावन में श्रद्धालुओं के स्वागत में देवघर जिला प्रशासन अपनी तैयारियों में जुटा है। वही देवघर की ग्रामीण महिलाओं ने भी अपनी कमर कस ली है। दरअसल महिलाओं एवं बच्चों के उत्थान के लिए काम करने वाली संस्था चेतना विकास ने देवघर प्रखंड के कुछ गांवों में ग्रामीण महिलाओं को अगरबत्ती बनाने का प्रशिक्षण, आवश्यक सामग्री एवं यंत्र उपलब्ध कराया है। जिसमें शंकरी पंचायत अंतर्गत बसमनडीह गाँव में ग्रामीण महिलाओं के समूह ‘सुगंधा सखी मंडल’ ने अगरबत्ती बनाने की मुहिम शुरू कर दी है।
संस्था की परियोजना निर्देशिका कृतिका सुमन ने बताया कि ये महिलाएं अपने पैरों पर खड़े होने और अपने समूह को एक बेहतर मुकाम पर लाने के लिए आशान्वित हैं और इस साल सावन में अगरबत्ती बेचकर एक अच्छी रकम जमा करने और अपनी आर्थिक पहचान मजबूत करने के लिए तैयार है। गौरतलब है कि चेतना विकास देवघर प्रखंड के कई गांव में महिलाओं को अलग-अलग कौशल प्रशिक्षण और सहायता उपलब्ध करा रही है. जिससे महिलाएं आर्थिक रूप से स्वतंत्र बने और अपनी एक उत्कृष्ट पहचान बना पाएं।
लॉ ओपाला कारखाना के मामले में हस्तक्षेप करने की मांग
देवघर/वरीय संवाददाता। झारखंड प्रदेश इंटक के प्रदेश सचिव अजय कुमार एवं देवघर जिला इंटक के जिला अध्यक्ष अनंत मिश्रा ने मधुपुर स्थित अंतरराष्ट्रीय लॉ ओपाला कारखाना के बंद ओपल डिवीजन को खुलवाने की दिशा में अविलंब हस्तक्षेप करने की मांग मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से की है क्योंकि कारखाना अचानक बंद किए जाने के कारण सैकड़ों मजदूरों के सामने रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है। श्री कुमार एवं श्री मिश्रा ने कहा कि उक्त कारखाना में 281 स्थाई मजदूर के अलावा 100 से अधिक मजदूर ठेका पर काम करते हैं। कारखाना को अचानक बंद कर दिए जाने के कारण सारे मजदूर बेरोजगार हो भुखमरी के कगार पर आ खड़े हुए हैं।
देवघर में बढ़ रही छिनतई पर अंकुश लगाने की मांग
देवघर/वरीय संवाददाता। संताल परगना चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के सदस्य अजय कुमार ने देवघर में बढ़ रही छिनतई पर अंकुश लगाने की मांग जिला प्रशासन से की है। श्री कुमार ने कहा कि बढ़ रही छिनतई के कारण महिला सहित हर वर्ग के लोग भय के माहौल में जीने को विवश हैं। छिनतई करने वाले अपराधियों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई किए जाने की जरूरत है ताकि छिनतई जैसे अपराध पर अंकुश लग सके और महिला सहित सभी लोग निर्भीक होकर शहर में घूम सके।