गाँवों और हाटों में ढोल पीटकर लोगों को किया जा रहा जागरूक
दुमका/नगर संवाददाता। जिले के जरमुण्डी प्रखंड के बरमसिया गाँव में मौजूद जीवाश्म-चट्टान के संरक्षण की दिशा में पहल तेज हो गयी है। आम लोगों का इस चट्टान के प्रति ध्यानाकर्षण के लिये यहाँ मुख्य सड़क के किनारे पथ निर्माण विभाग द्वारा दो साईनबोर्ड लगाये गये हैं, वहीं दूसरी ओर आसपास के गाँवों और हाटों में ढोल पीटकर आम लोगों के बीच इस चट्टान की सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलायी जा रही है। बरमसिया के ग्राम प्रधान फणिभूषण राय ने बताया कि मकर-संक्रान्ति के दिन यहाँ मेला लगता है। लोग इस चट्टान पर आग जलाकर भोजन बनाते हैं। फासिल वाला चट्टान विकृत न हो जाय, इसके लिये उनकी ओर से पिछले 15 दिनों से आसपास के गाँवों और हाटों में ढोल पिटवाकर चट्टान पर भोजन न बनाने की अपील लोगों से की जा रही है। देवघर जिला के सोनारायठाढ़ी प्रखण्ड के हाटों में भी ढोल पिटवाया जा रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता कामदेव राय ने बताया कि दुमका के पुरातात्त्विक खोजकर्ता पंडित अनूप कुमार वाजपेयी ने इस चट्टान में जीवाश्मरूप में समाहित कई प्रकार के जीव-जन्तुओं की खोज दशकों पूर्व की थी। चट्टान में गिलहरी, मछली, हिरण के खुरों की छापें और लम्बी कद-काठी के मानवों की पदछापें जीवाश्मरूप में समाहित हैं, जिनकी जानकारी बजाप्ता खोजकर्ता अनूप कुमार वाजपेयी के नाम के साथ साईनबोर्ड के माध्यम से पथ निर्माण विभाग ने प्रसारित की है।
तीस करोड़ साल से भी अधिक प्राचीन है ये जीवाश्म: वाजपेयी
दुमका। खोजकर्ता पंडित अनूप कुमार वाजपेयी का दावा है कि मानव सहित विभिन्न जीव-जन्तुओं से सम्बन्धित चट्टान में समाहित पुरातात्त्विक साक्ष्य तीस करोड़ साल से भी अधिक प्राचीन हैं। ये तब के हैं जब धरती के बहुत से स्थलीय खण्ड एक थे। राजमहल पहाड़ियाँ नाम से विख्यात संताल परगना प्रमंडल के पहाड़ दक्षिण अफ्रीका के पहाड़ से सटे हुए थे। उस पेंजिया काल के वनस्पतियों के जीवाश्म इस क्षेत्र में बहुतायत में पाये गये हैं। चट्टान में तब के ही जीव-जन्तु जीवाश्मरूप में समाहित हैं, जो मानव सहित विभिन्न प्रकार के जीव-जन्तुओं की उत्पत्ति के बारे में इतिहास को नयी दिशा देने में सक्षम प्रतीत हैं।
जीवाश्म चट्टा को संरक्षित करने के लिए की जायेगी घेराबंदी
दुमका। जिला के धार्मिक पुरातात्त्विक स्थलों का विकास के लिये पिछले दिनों दुमका के उपायुक्त की अध्यक्षता में जिला पर्यटन संवर्धन परिषद् की बैठक में कई प्रस्ताव लिये गये थे, जिनमें बरमसिया में मौजूद जीवाश्म-चट्टान को संरक्षित करने हेतु इसकी घेराबन्दी सहित अन्य आवश्यक कदम उठाये जाने का प्रस्ताव भी शामिल है। इन प्रस्तावों को जिला खेल पदाधिकारी ने पर्यटन कला संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग के सचिव को प्रेषित की है।