कहा, विधि-व्यवस्था के साथ भीड़ नियंत्रण में सभी की भूमिका महत्वपूर्ण
फोटो- दुर्गापूजा का लोगो लगा दें
देवघर/वरीय संवाददाता। अनुमंडल पदाधिकारी सह अनुमंडल दंडाधिकारी देवघर अभिजित कुमार सिन्हा ने दुर्गापूजा के सफल आयोजन को लेकर कई आवश्यक निर्देश दिये हैं।
उन्होंने बताया कि तीन, चार एवं पांच अक्टूबर को क्रमश अष्टमी, नवमी एवं विजयादशमी मनाया जाएगा। ऐसे में देवघर शहर एवं आस-पास के क्षेत्रों में बहुत बड़ी संख्या की तादाद में श्रद्धालुओं एवं दर्शनार्थियों द्वारा पूजा पंडालों का दर्शन किया जाता है। ऐसी परिस्थिति में देवघर अनुमंडल क्षेत्र के अंतर्गत थाना में सम्पन्न हुए शांति एवं विधि-व्यवस्था एवं शांति समिति/दुर्गापूजा समिति के साथ सम्पन्न बैठक में लिये गये निर्णय के मद्देनजर निम्न सतर्कतामूलक निर्देश दिया जाता है जिसे सभी दुर्गापूजा समितियों द्वारा सीआरपीसी की धारा 149 के तहत अनुपालन करना अनिवार्य होगा।
दुर्गा पूजा में प्रतिमा विसर्जन में कतिपय कारणों से कभी-कभी तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो जाती है एवं विधि-व्यवस्था की समस्या खड़ी हो जाती है, जिसपर सतर्कता बरतने एवं शांतिपूर्ण वातावरण में दुर्गापूजा सम्पन्न कराने हेतु अधोहस्ताक्षरी द्वारा दुर्गापूजा के पंडालों में शांति एवं विधि-व्यवस्था के साथ अग्नि-सुरक्षात्मक व्यवस्था/भीड़ नियंत्रण एवं अन्य निम्नलिखित सावधानी बरतने का निदेश सभी पूजा समितियों के अध्यक्ष/सचिव/संयोजक /सदस्यगण को दिया जाता है। सभी दुर्गापूजा समिति अपने पंडालों के निर्माण/प्रतिमा का विसर्जन के रूट से संबंधित अनुज्ञप्ति प्राप्त कर ही निदेशानुसार अनुपालन सुनिश्चित करेंगे। पंडालों एवं झांकी वाले क्षेत्र में पर्याप्त संख्या में स्वयंसेवकों की प्रतिनियुक्ति करेंगे तथा उनके स्पष्ट पहचान हेतु कोई विशेष रंग का ड्रेस/टी-शर्ट/पहचान पत्र उपलब्ध करायेंगे। पूजा हेतु पंडाल का निर्माण कमजोर बांस-बल्ले से नहीं करेंगे। पंडाल की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देंगे तथा प्रवेश द्वार/तोरणद्वार गुफानुमा अथवा घुमावदार न बनाकर पारदर्शी तरीके से एवं चौड़ा बनायेंगे। पूजा पंडाल एवं उसके आस-पास मद्यपान/गुटखा/तम्बाकू एवं अन्य नशा से संबंधित सभी पदार्थों का उपयोग/खरीद-बिक्री पूर्णत: वर्जित रहेगा। जांच के दौरान पकड़े जाने पर दंडात्मक कार्रवाई की जायेगी। पंडालों में व्यवहृत होने वाले फेब्रिक सामग्री को अग्निरोधी पेंट में डूबाकर सुखाने के बाद प्रयोग करेंगे। किसी भी प्रकार के सिंथेटिक/ज्वलनशील प्रकृति वाले सामानों का प्रयोग नहीं करें। कम से कम दो निकास द्वार का व्यवस्था करेंगे तथा हिन्दी और अंग्रेजी में लिखा होना चाहिए। महिलाओं एवं पुरूषों के लिए अलग-अलग प्रवेश एवं निकास द्वार का व्यवस्था करेंगे।