बच्चों से मजदूरी कराना कानूनन अपराध : डालसा
गोड्डा। विधि संवाददाता। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से अध्यक्ष सह प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार पाठक के मार्गदर्शन में रविवार को सदर प्रखंड के रंगमटिया गांव में विधिक जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान डालसा की ओर से गठित टीम में शामिल अधिवक्ता कुंदन ठाकुर, पीएलवी नवीन कुमार, बासुदेव मणी, नंदन कुमार आदि ने ग्रामीणों को नालसा स्कीम की जानकारी दी। इस दौरान असंगठित मजदूरों से संबंधित कानूनी पहलुओं की जानकारी दी गई। अधिवक्ता कुंदन ठाकुर ने कहा कि देश के विभिन्न संस्थानों में 80 प्रतिशत कार्य असंगठित क्षेत्र के मजदूरों द्वारा ही संपादित किये जाते हैं। बावजूद इनके लिए संस्थान जबादेही नहीं लेता था। सुप्रीम कोर्ट के प्रयास से बंधुआ मजदूरों के कल्याण को लेकर अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं। अब असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को हर प्रकार की सुविधा मुहैया कराई जा रही है। इसके लिए श्रम विभाग के कार्यालय से संपर्क कर अपना निबंधन कराने का आह्वान किया। कहीं अन्यत्र नौकरी के लिए जाने पर भी जिला श्रम कार्यालय में भी सूचित करने की सलाह दी। पीएलवी नवीन कुमार ने बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम-1986 के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। कहा कि बाल मजदूरी अभिशाप है और बच्चों से मजदूरी करवाना पाप है। सरकार हर हाथ में किताब देखना चाहती है, न कि फावड़ा और कुदाल। इस अधिनियम के तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से कार्य लेना सामाजिक कुरीति ही नहीं कानूनन अपराध है। इसके लिए दोषी नियोजकों को दो वर्ष कारावास व 30 हजार रुपए जुर्माना की सजा का प्रवधान है। बाल श्रम की रोकथाम को लेकर जन जागरुकता की जरूरत है। इसके अलावा मानव तस्करी, बाल विवाह , मनरेगा, विधिक सहायता आदि के बारे में जानकारी दी। कहा गया कि स्थानीय स्तर पर बच्चों की पढ़ाई के लिए पठन-पाठन की बेहतर व्यवस्था है।