मधुपुर/संवाददाता। प्रखंड के गड़िया पंचायत के पुनिझरी स्थित स्टेडियम में जिला फुटबॉल संघ के तत्वावधान मंे आयोजित महिलाओं के लिए फुटबॉल लीग मैच रविवार को सम्पन्न हुआ। इस लीग मैच में कुल जिले के चार टीमों ने भाग लिया था। जिसमें देवघर, कस्तूरबा आवासीय विद्यालय मधुपुर, प्रेरणा भारती मधुपुर तथा ताराजोरी मारगोमुंडा की टीम शामिल
थी। प्रतियोगिता के मुख्य अतिथि के रूप मे उपस्थित शहर के फुटबॉल प्रेमी सह उद्योगपति अनूप गुटगुटिया मौजूद थे। जिन्होंने खिलाड़ियों से परिचय प्राप्त कर विधिवत मैच का शुभारंभ किया। अंतिम मैच ताराजोरी बनाम प्रेरणा भारती मधुपुर के बीच हुआ। दोनों टीमों ने अच्छे खेल का प्रदर्शन किया । निर्धारित समय पर खेल बराबरी पर खत्म होने पर पेनल्टी शूट के माध्यम से प्रेरणा भारती की टीम विजेता रही। विजेता तथा उप विजेता टीम को मुख्य अतिथि ने ट्रॉफी और मेडल देकर पुरस्कृत किया। प्रतिभागी सभी टीमों को जिला फुटबॉल संघ की ओर से प्रमाण पत्र दिया गया। निर्णायक के रूप मे जिला फुटबॉल संघ के रेफरी राजेश सोरेन, अनिल सोरेन तथा बबूल सोरेन थे। फुटबॉल प्रेमी सह उपाध्यक्ष देवघर निवासी आलोक बोस का इस लीग आयोजन ो सराहनीय भूमिका रही।
मौके पर देवघर जिला फुटबॉल संघ के अध्यक्ष विद्रोह कुमार मित्रा, सचिव विष्णु टुडू, कोषाध्यक्ष राजेश सोरेन, विद्युत मुर्मू, बाबूलाल सोरेन, गढ़िया पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि सुशील सिंह, अरूण निर्झर, सह पार्षद शबीना अंजुम, श्याम सह स्थानीय खेल आयोजन समिति के सदस्यगण मौजूद थे।
राज्यस्तरीय खेलो ताइक्वांडो प्रतियोगिता में मधुपुर के खिलाड़ियों ने तीन स्वर्ण व दो कांस्य पदक जीते
मधुपुर/संवाददाता। दो दिवसीय राज्य स्तरीय खेलों झारखंड ताइक्वांडो प्रतियोगिता में मधुपुर के खिलाडियों ने तीन स्वर्ण व दो कांस्य पदक जीत शहर का नाम रौशन किया है। रांची खेलगांव में 4 व 5 अक्टूबर को आयोजित इस ताइक्वांडो प्रतियोगिता में अंडर-17 वर्ग में अनुष्का सिंह, कुणाल प्रजापति व इमरान हसन ने स्वर्ण पदक जीत कर एसजीएफआई नेशनल के लिये क्वालीफाई किया है।
वही अभय रे व श्रुति कुमारी ने कांस्य पदक जीत मधुपुर का मान बढ़ाया है। इस प्रतियोगिता में मधुपुर से कुल 7 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था। वही कोच दीपक मैसी ने बताया कि हमारे खिलाड़ियों ने जिला स्तर के बाद प्रदेश स्तर भी बेहतर प्रदर्शन किया है। आगे भी राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करने के लिये सभी खिलाड़ी अपने आप को तैयार करेंगे। इस सफलता से बच्चों में कुछ करने की प्रेरणा मिलेगी।
शक्ति की भक्ति के साथ दिखी संस्कृति
- हैप्पी केव ने डांडिया का आयोजन
देवघर/वरीय संवाददाता। नवरात्रि के चौथे दिन होटल सर्वेश्वर इन की शाम डांडियों के साथ डीजे से गूंज उठी। गरबे के भव्य आयोजन के विख्यात हैप्पी केव डांडिया रास द्वारा रविवार शाम स्टेशन रोड़ स्थित होटल सर्वेश्वर इन में डांडिया रास का आयोजन किया गया। आयोजन की शुरुआत रंग-बिरंगे परिधानों में सजे युवक -युवतियों ने भगवान श्री गणेश की वंदना एवं मां जगदम्बा की आरती के साथ विशिष्ट अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुई। इसके बाद देर रात तक चले कार्यक्रम में एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दी गई। नान स्टॉप गरबा प्रस्तुतियों में प्रतिभागियों ने शक्ति-भक्ति के साथ सांस्कृतिक प्रस्तुत की। यहां हैप्पी केव की संस्थापक, डांडिया रास के आयोजक रोशनी केशरी ने बताया कि आयोजन को लेकर युवक-युवतियों द्वारा बीते तकरीबन 15 दिनों से मेहनत की जा रही थी। प्रतिभागियों द्वारा गणेश वंदना, मां जगदम्बा आरती,केसरिया बालम पधारो म्हारे देश, राजस्थानी भवाई नृत्य, मां दुर्गा के नौ स्वरूप का नृत्य, राधा कृष्ण मयूर डांस, कच्ची घोड़ी लोक गीत, बीकानेर का चंग धमाल ढपली को बजाते हुए विभिन्न रास गरबे की प्रस्तुति ने कार्यक्रम में मौजूद दर्शकों का मन मोह लिया। इस अवसर पर कार्यक्रम में आजसू जिला अध्यक्ष आदर्श लक्ष्य, विक्रम कुमार, श्याम सुंदर शिक्षा सदन की प्राचार्य निर्मला ठाकुर, विक्रम कुमार, रूपा केसरी रूपा केशरी,रीता चौरसिया,अभय आनन्द झा, डॉक्टर नीतू, प्रभाकर कापरी,नेहा सिंह सुंदर सारिका साह सहित शहर के कई गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।
1600 ईस्वी सेही विशनपुर गहवर में हो रही है दुर्गा पूजा
- सच्ची श्रद्धा से मांगी सारी मनोकामना मां करती है पूरा
पंकज कुमार यादव/सारवां। सारवां प्रखंड के प्राचीन शक्ति स्थल के रूप में प्रख्यात विशनपुर गहवर की महिमा निराली है। यहां मांगी गयी मुरादें मां शीघ्र पूरी करती हैं एवं मनोवांछित फल प्रदान करती है। मंदिर की स्थापना के संबंध में विशनपुर गढ़ के राजा मर्दन सिंह के सातवीं पीढ़ी के बंशज राजेश कुमार सिंह, खनेश सिंह, श्रीकांत सिंह, सुनील सिंह, अमरेंद्र सिंह, राजेंद्र सिंह की मानें तो 1600 ईस्वी के आसपास सर्वप्रथम सारवां का एक मात्र दुर्गा पूजा विशनपुर गहवर है। वेदी के स्थापना के संबंध में बताया जाता है कि तत्कालीन राजशाही जमाने में प्रतापी राजा मर्दन सिंह मां दुर्गा के अनन्य भक्त के साथ महान साधक थे। उन्होंने अपने तीर्थ पुरोहित की प्रेरणा से बाबा मंदिर देवघर भीतरखंड से नित्य पूजा अर्चना के लिये मां को कदम बलि प्रदान करते हुए सारवां ला रहे थे। कहा जाता है कि रात्रि विश्राम के लिये जब वो अपने लश्कर के साथ विशनपुर कदेय नदी तट किनारे रूके तो मां ने उन्हें रात्रि में स्वप्न देकर कहा था कि इसके आगे एक कदम नहीं ले जाओ यहीं मेरी वेदी यहीं स्थापित कर पूजा करो। राजा ने माता की आज्ञा को शिरोधार्य कर जहां रात्रि विश्राम के लिये मां का रखा था। उक्त स्थल पर वेदी स्थापित कर नवरात्र व्रत वेदी के नीचे गुफा बना कर आरंभ कर दिया। वंंशजों का कहना है कि वो नौ दिन तक गुफा के अंदर रहकर मां की अभ्यर्थना करते थे व दशमी को पूर्णाहुति के समय बाहर आते थे। मां को राजशाही बाद्य तुरही की विजय घोष के साथ सात किलोमीटर सारवां के कदमा तालाब में विसर्जन के लिये धूमधाम से कंधे पर उठाकर ले जाते थे। तब से ही विशनपुर गहवर में मां को कंधे पर विसर्जन की परंपरा कायम है। वंंशजों का कहना है कि राजशाही जमाने में तो मां की पूजा में कोई कठिनाई नहीं होती थी पर जमींदारी सरकार के द्वारा सीच कर लेने के बाद 25 साल तक पूजा खर्च दिया जाता था लेकिन वो भी सरकार द्वारा बंद कर दिया गया। जिसके कारण मां की पूजा में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। कहा आज भी उनके वंशज उक्त परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं। बताया कि पूर्व के प्राचीन मंदिर के भग्न हो जाने के बाद श्रद्धालुओं के सहयोग से उक्त मंदिर को तोड़कर दुर्गा मंदिर सेवा समिति द्वारा भव्य मंदिर का निर्माण जन सहयोग से कराया गया। इस गहवर में भीतरखंड देवघर के नियमानुसार शारदीय नवरात्र के अवसर पर प्रतिमा स्थापित कर नौ दिनों तक विधि विधान के साथ मां की आराधना की जाती है। उक्त मंदिर में प्रत्येक दिन मां को बलि अर्पित करने की परंपरा आज भी जारी है। महाष्टमी के दिन प्रखंड के अलावा दूसरे प्रदेशों से हजारों की संख्या में दंड देने को लोग पहुंचते हैं। नवमी के अवसर पर कन्याओं का पूजन कर उन्हें भोजन कराया जाता है।
नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता को लगाएं ये भोग
- दुर्गा माता पूरी करेंगी हर मनोकामना, घर में बरसेगा सौभाग्य
देवघर/नगर संवाददाात। सात अक्तूबर यानी सोमवार को शारदीय नवरात्रि का पांचवां दिन है। नवरात्र की पंचमी तिथि को मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा का विधान है। देवताओं के सेनापति कहे जाने वाले स्कंद कुमार, यानि कार्तिकेय जी की माता होने के कारण ही देवी मां को स्कंदमाता कहा जाता है। इनके विग्रह में स्कंद जी बालरूप में माता की गोद में बैठे हैं। मां स्कंदमाता की उपासना करने से भक्तों को सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। देवी मां अपने भक्तों पर ठीक उसी प्रकार कृपा बनाये रखती हैं, जिस प्रकार एक मां अपने बच्चों पर बनाकर रखती हैं।
मां स्कंदमाता का स्वरूप : मां स्कंदमाता का रंग पूर्णत: सफेद है और ये कमल के पुष्प पर विराजित रहती हैं, जिसके कारण इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। देवी मां की चार भुजाएं हैं। ऊपर की दाहिनी भुजा में ये अपने पुत्र स्कंद को पकड़े हुए हैं और इनके निचले दाहिने हाथ और एक बाएं हाथ में कमल का फूल है, जबकि माता का दूसरा बायां हाथ अभय मुद्रा में रहता है। स्कंदमाता हमें सिखाती हैं कि हमारा जीवन एक संग्राम है और हम स्वयं अपने सेनापति हैंय़ लिहाजा देवी मां से हमें सैन्य संचालन की प्रेरणा भी मिलती है। नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि के पांचवें दिन लगाएं ये भोग : नवरात्रि का पांचवां दिन मां स्कंदमाता को समर्पित है। मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता को सफेद रंग अति प्रिय है। ऐसे में नवरात्रि के पांचवें दिन माता रानी को दूध और चावल से बनी खीर को भोग लगाएं। इसके अलावा देवी मां को केले का भोग भी लगा सकते हैं। केला और खीर का भोग लगाने से स्कंदमाता भक्तों से प्रसन्न होकर उन्हें खुशहाल जीवन और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
नवरात्रि के पांचवें दिन इस मंत्र का जाप करें : सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
ॐ देवी स्कन्दमातायै नम:॥
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥