विश्वविद्यालय स्तर की प्रतियोगिता में पहला स्थान मिला
गोड्डा। कार्यालय संवाददाता । गोड्डा कॉलेज के आदिवासी छात्र-छात्राओं ने कॉलेज का नाम रोशन करते हुए संताल फेस्ट में सिद्धू-कानू मुर्मू विश्वविद्यालय के कंपटीशन में पहला स्थान प्राप्त किया। यहां से 17 छात्र-छात्राओं का दल संताली विभाग के प्रोफेसर परदिनाथ हांसदा एवं प्रोफेसर योगेश चंद्र किस्कू के नेतृत्व में विश्वविद्यालय गया था। वहां 17 टीमों के बीच हुई प्रतिस्पर्धा में गोड्डा कॉलेज के आदिवासी छात्र-छात्राओं ने लागड़े नृत्य प्रस्तुत किया। पूरे विश्वविद्यालय में इस ‘संताल फेस्ट ‘ में उन्हें प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। छात्र-छात्राओं ने अपने प्रोफेसर द्वय के नेतृत्व में लागड़े नृत्य का कड़ा प्रैक्टिस किया था। इस सफलता के बाद विश्वविद्यालय की कुलपति सोना झरिया मिंज ने गोड्डा कॉलेज के छात्र-छात्राओं को प्रथम स्थान का ट्रॉफी प्रदान किया। विजयी छात्र-छात्राओं ने अपने प्रोफेसरों के साथ गोड्डा कॉलेज में प्राचार्य प्रो. सतीश चंद्र पाठक से गुरुवार को भेंट किया और ट्रॉफी के साथ फोटो खिंचाई। सिद्धो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय में संताल फेस्ट का पहली बार आयोजन किया गया। कुलपति प्रो. डॉ. सोना झरिया मिंज ने सिद्धो- कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय कार्यक्रम का उद्घाटन किया। कहा कि संतालपरगना की भूमि और पूरे विश्व में संताल जहां भी रह रहे हैं, उनके सांस्कृतिक धरोहरों को बचाने का एक प्रयास है। इन सभी सांस्कृतिक कार्यक्रमों के दस्तावेजीकरण का कार्य भी संताल अकादमी दुमका में संरक्षित करने का कार्य भी करना चाहिए। उन्होंने संताल अकादमी के समस्त आयोजन कर्ता, समिति के सदस्यों को अपना समर्थन और प्रोत्साहित करते हुए कहा उनकी अपेक्षा है कि संताल अकादमी अपने आप में एक अनूठा संस्थान है, जिसे अपने कर्तव्य बोध का ज्ञान होना आवश्यक है। कुलपति ने संताल आकादमी के समस्त आयोजन कर्ताओं एवं समिति के सदस्यों को अपना समर्थन और प्रोत्साहन करते हुए कहा कि उनकी अपेक्षा है कि संताल अकादमी अपने आप में एक अनूठा संस्थान हो, जिसे अपने कर्तव्य बोध का ज्ञान होना आवश्यक है। संताल अकादमी के सदस्य निरंतर इस परंपरा का निर्वहन आने वाले वर्षों में करते रहेंगे,वह इसकी कामना करती हैं। गोड्डा कॉलेज से संताल फेस्ट में जाने वाले छात्र-छात्राओं को प्राचार्य ने कहा कि संताल समुदाय के लोगों में शिक्षा का प्रसार भी तेजी से हो रहा है और नैसर्गिक ज्ञान अनुभव का भंडार इतना है कि उनके गीतों, कहानियों और नृत्य में आज भी उतने ही सिद्धांत एवं उद्देश्य परिलक्षित होते हैं जो आज भी प्रासंगिक हैं। यह संताल फेस्ट विश्वविद्यालय के संताल अकादमी की ओर से आयोजित किया गया था। प्रोफेसर योगेश चंद्र किस्कू ने बताया कि संताल समुदाय में विभिन्न तरह के नृत्य प्रचलित हैं और ये नृत्य किसी खास समय पर ही हो सकते हैं। लेकिन लागड़े नृत्य एक ऐसा नृत्य है जो उत्साह और खुशी में बारहों महीने संथाल समाज के लोग करते हैं। लागड़े शब्द का अर्थ बताते हुए उन्होंने कहा कि इसका अर्थ है अपने थकान को नृत्य से दूर करना।