-मौजूदा दर के हिसाब से बाल विवाह के लंबित मामलों के निपटारे में भारत को लग सकते हैं 19 साल
गोड्डा। संवाददाता गैर सरकारी संगठन साथी कार्यालय के सभागार में बाल विवाह मुक्त भारत निर्माण अभियान में कार्य कर रहे कार्यकर्ताओं के साथ अहम बैठक की। भारत में बाल विवाह के खात्मे में कानूनी कार्रवाई और अभियोजन की अहम भूमिका को उजागर करने वाली एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि झारखंड के गोड्डा जिला के गैर सरकारी संगठन साथी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कालेश्वर मंडल ने कहा कि कानूनी कार्रवाई और कानूनी हस्तक्षेप 2030 तक बाल विवाह के खात्मे के लक्ष्य को हासिल करने की कुंजी है। और उसने 2024 के दौरान गोड्डा में दर्जनों बाल विवाह रुकवाए हैं।
टूवार्ड्स जस्टिस : इंडिंग चाइल्ड मैरेज शीर्षक से जारी यह रिपोर्ट इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन की शोध टीम ने तैयार की है। साथी और चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड 2030 तक देश से बाल विवाह के खात्मे के लिए काम कर रहे बाल विवाह मुक्त भारत के सहयोगी संगठन के तौर पर साथ हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-05 के अनुसार गोड्डा में बाल विवाह की दर 45 प्रतिशत थी, जबकि राष्ट्रीय औसत 23.3 प्रतिशत है। संगठन ने सरकार से अपील की कि वह अपराधियों को सजा सुनिश्चित करे ताकि बाल विवाह के खिलाफ लोगों में कानून का भय पैदा हो सके।
आइसीपी की रिपोर्ट टूवार्ड्स जस्टिस : इंडिंग चाइल्ड मैरेज बाल विवाह के खात्मे के लिए न्यायिक तंत्र की ओर से पूरे देश में फौरी कदम उठाने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। रिपोर्ट के अनुसार 2022 में देश भर में बाल विवाह के 3,563 मामले दर्ज हुए जिसमें सिर्फ 181 मामलों का सफलता पूर्वक निपटारा हुआ। यानी लंबित मामलों की दर 92 प्रतिशत है। मौजूदा दर के हिसाब से इन 3,365 मामलों के निपटारे में 19 साल का समय लगेगा।
बाल विवाह की रोकथाम के लिए असम सरकार की कानूनी कार्रवाई पर जोर देने की रणनीति के शानदार नतीजे मिले हैं। और इस मॉडल की सफलता को देखते हुए इसे पूरे देश में आजमाया जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार 2021-22 से 2023-24 के बीच असम के 20 जिलों में बाल विवाह के मामलों में 81 प्रतिशत की कमी आई है जो बाल विवाह के खात्मे में कानूनी कार्रवाई की अहम भूमिका का सबूत है। इस अध्ययन में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) और असम के 20 जिलों के 1,132 गांवों से आंकड़े जुटाए गए जहां कुल आबादी 21 लाख है, जिनमें 08 लाख बच्चे हैं। नतीजे बताते हैं कि बाल विवाह के खिलाफ जारी असम सरकार के अभियान के नतीजे में राज्य के 30 प्रतिशत गांवों में बाल विवाह पर पूरी तरह रोक लग चुकी है जबकि 40 प्रतिशत उन गांवों में इसमें उल्लेखनीय कमी देखने को मिली जहां कभी बड़े पैमाने पर बाल विवाह का चलन था। रिपोर्ट के तथ्यों और आंकड़ों का हवाला देते हुए संगठन ने कहा कि बाल विवाह के मामलों में सरकार की मदद से कानूनी हस्तक्षेप यहां भी काफी प्रभावी साबित हुआ है। श्रीमंडल ने कहा इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन की यह रिपोर्ट साफ तौर से कानूनी कार्रवाई और अभियोजन की अहमियत को रेखांकित करती है। हम लोगों में बाल विवाह के खिलाफ जागरुकता के प्रसार के साथ यह सुनिश्चित करने के अथक प्रयास कर रहे हैं कि परिवारों और समुदायों को समझाया जा सके कि बाल विवाह अपराध है। साथ ही, जहां बाल विवाहों को रुकवाने के लिए समझाने, बुझाने का असर नहीं होता, वहां हम कानूनी हस्तक्षेप का भी इस्तेमाल करते हैं। कानून पर अमल बाल विवाह के खात्मे की कुंजी है और हम सभी को साथ मिलकर इस पर अमल सुनिश्चित करने की जरूरत है। आईसीपी, बाल विवाह मुक्त भारत का गठबंधन सहयोगी है जिसने 2022 में राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरूआत की और इसके 200 सहयोगी संगठन भुवन ऋभु की बेस्टसेलर किताब व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन : टिपिंग प्वाइंट टू इंड चाइल्ड मैरेज में सुझाई गई कार्य योजना पर अमल करते हुए पूरे देश में काम कर रहे हैं। सीएमएफआई अपने कामकाज में मुख्य रूप से कानूनी हस्तक्षेपों और परिवारों एवं समुदायों को बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में समझाने बुझाने के उपायों का इस्तेमाल करता है। सीएमएफआई के सहयोगी संगठनों ने कानूनी हस्तक्षेपों की मदद से 2023-24 में 14,137 और पंचायतों की मदद से 59,364 बाल विवाह रुकवाए। बाल विवाह की रोकथाम के लिए असम सरकार की कानूनी रणनीति के राज्य में कारगर नतीजों की चर्चा करते हुए बाल विवाह मुक्त भारत के संयोजक रवि कांत ने कहा, इस रिपोर्ट से यह साबित होता है कि बाल विवाह के खात्मे में कानूनी कार्रवाईयों की सबसे निर्णायक भूमिका है और असम मॉडल सही दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। अब हमें इसे आगे ले जाते हुए इसे पूरे देश में लागू करने की जरूरत है, ताकि बच्चों के खिलाफ अपराधों का अंत किया जा सके। रिपोर्ट के तथ्यों और आंकड़ों की चर्चा करते हुए रविकांत ने आगे कहा, इस तरह के मामलों में सजा की बेहद मामूली दर चिंता का विषय है। 2022 में बाल विवाह के सिर्फ 11 प्रतिशत मामलों में दोष सिद्धि हुई जबकि इसी अवधि में बच्चों के खिलाफ अन्य अपराधों में दोष सिद्धि की दर 34 प्रतिशत थी। यह बाल विवाह के मामलों में गहन जांच और अदालती सुनवाई की जरूरत को उजागर करता है। यह एक निवारक के रूप में काम करने के अलावा समुदायों को यह भी संकेत देगा कि बाल विवाह ठोस कानूनी परिणामों के साथ एक गंभीर अपराध है। रिपोर्ट में दो अहम सिफारिशें की गई हैं जिसमें लंबित मामलों के निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक अदालतों के गठन के अलावा बाल विवाह को बलात्कार की आपराधिक साजिश के बराबर मानते हुए इसमें सहभागी माता-पिता, अभिभावकों और पंचायत प्रतिनिधियों के लिए सजा को दोगुना करने का सुझाव भी शामिल है।
बिना माइनिंग चालान का पत्थर लदा तीन हाइवा धराया
अवैध परिवहन में संलिप्त तीन चालक सहित छह व्यक्ति गिरफ्तार
मेहरमा। संवाददाता थाना क्षेत्र अंतर्गत पिरोजपुर-भगैया मुख्य सड़क के रास्ते थाना प्रभारी नितिश अश्विनी ने अवैध परिवहन के खिलाफ छापेमारी अभियान चला कर भगैया की तरफ से आ रहा तीन पत्थर चिप्स लदा हाइवा वाहन को रोक कर चालक से आवश्यक कागजात की मांग की गई। कागजात प्रस्तुत नहीं करने पर वाहन को सीज करते हुए तीन चालक सहित छह व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वरीय पुलिस पदाधिकारी के निर्देश पर कार्रवाई की गई है। उक्त कारवाई को लेकर मेहरमा, ठाकुरगंगटी एवं मिर्जाचौकी थाना क्षेत्र के रास्ते रात्रि में परिचालन करने वाले पत्थर माफिया में हड़कंप मच गया है। थाना प्रभारी की कार्रवाई को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। कार्रवाई को लेकर राजनीतिक षड्यंत्र भी बताया जा रहा है। मालूम हो कि गिरफ्तार छह व्यक्ति में तीन चालक एवं तीन खलासी बताया जा रहा है। हालांकि मेहरमा थाना प्रभारी ने आगे की कार्रवाई को लेकर शुक्रवार को जिला खनन पदाधिकारी कार्यालय को पत्राचार किया है।
कोर्ट के निर्देश पर डीईओ, एसडीओ ने बंद निजी स्कूल का लिया जायजा
-स्कूल के आसपास रहने वाले दर्जनों ग्रामीणों की ली गयी राय
मेहरमा। संवाददाता प्रखंड के शंकरपुर बायपास स्थित 2019 से बंद हिमालयन एकेडमी स्कूल का जायजा लेने शुक्रवार को न्यायालय के निर्देश पर डीईओ मिथिला टुडू, महागामा एसडीओ राजीव कुमार, मेहरमा बीडीओ सह प्रभारी सीओ अभिनव कुमार ने बंद स्कूल परिसर का निरीक्षण कर आसपास के दर्जनों ग्रामीणों से स्कूल खुलना चाहिए या नहीं खुलना चाहिए से संबंधित लोगों की राय जानी। उक्त रिपोर्ट को प्रशासन के न्यायालय में सौंपने की बात सामने आई। बताते चलें कि उक्त स्कूल के संचालक अरविंद संथालिया पर 2019 में नाबालिग स्कूली छात्रा की ओर से गंभीर आरोप के मामले में न्यायालय के निर्देश पर जिला प्रशासन ने विधिवत सील कर दिया था। उस वक्त से स्कूल बंद है। हालांकि स्कूल बंद रहने से आसपास के दर्जनों गांवों का निजी स्कूल में पढ़ने वाले इच्छुक बच्चों को महंगे और निजी स्कूल का शरण लेना मजबूरी बन गया है। वहीं आसपास के दर्जनों लोगों ने स्कूल को खोलने की सहमति जताई है और ग्रामीणों ने कहा कि स्कूल खुल जाने से गरीब तबके के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल पाएगी।