पालोजोरी/संवाददाता। ग्राम पंचायत पालोजोरी के युवा मुखिया अंशुक साधु का जन्मदिन बीते बुधवार को सारठ के नवनिर्वाचित विधायक उदय शंकर सिंह उर्फ़ चुन्ना सिंह ने कई लोगों की मौजूदगी में रांची में मनाया। जानकारी हो कि बीते विधानसभा चुनाव में सारठ विधानसभा के ज्यादातर मुखिया ने उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह को अपना समर्थन दिया था। पालोजोरी मुखिया अंशुक ने इस मुहिम में अग्रणी भूमिका निभाई है। इधर चुन्ना सिंह के विधायक निर्वाचित होने पर अंशुक ने बताया कि विधायक के सहयोग से पालोजोरी पंचायत को मॉडल पंचायत बनाया जाएगा।
योजनाओं के क्रियान्वयन में बरते पारदर्शिता : लोकपाल
सारवां/संवाददाता। प्रखंड क्षेत्र के बनवरिया पंचायत के विभिन्न योजनाओं का गुरुवार को मनरेगा लोकपाल कल्पना झा ने निरीक्षण किया। इस अवसर पर उनके द्वारा सर्वप्रथम पंचायत भवन में विभिन्न योजनाओं से संबंधित संचिकाओं का अवलोकन किया। अवलोकन के क्रम में पता चला कि अभिलेख में मास्टर रोल नहीं लगाया जा रहा है, एमबी भी नहीं पाया गया। इसके साथ मूवमेंट रजिस्टर अब तक नहीं बनाया गया है औ न ही अन्य कोई लेखा-जोखा है। कहा मूवमेंट को मेंटेन नहीं किया जा रहा है। पूर्व में मनरेगा योजना को लेकर 29 रजिस्टर हुआ करते थे फिलहाल उसे घटाकर 7 रजिस्टर किया गया। सात रजिस्टर में कई रजिस्टर तैयार नहीं पाए गए कुल मिलाकर योजना में अभिलेख तैयार करने में घोर लापरवाही रोजगार सेवक की देखी गयी। इसके साथ ही संबंधित जेई को भी आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया। मौके पर उनके द्वारा पंचायत के कूप निर्माण योजना का स्थल निरीक्षण किया गया जहां निर्माण कार्य ठीक पाया गया। आसपास के खेतों में फसल की हरियाली देखी गई। जिसकी लोकपाल ने सराहना की लेकिन संबंधित कुछ निर्माण के अभिलेख को आधा अधूरा पाया गया। जिसको लेकर अभिलेख को पूरा करने का निर्देश दिया गया। इसके साथ ही मनरेगा से संचालित विभिन्न योजनाओं का निरीक्षण कर गुणवत्ता पूर्ण कार्य करने, मजदूरों को पंचायत व ग्राम स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने मनरेगा योजना में किसी भी स्थिति में मशीन से कार्य नहीं करने का निर्देश दिया गया। इस अवसर पर बीपीओ अनूप कुमार राय, जेई सतीश कुमार, पंचायत सेवक संजय कुमार मंडल, रोजगार सेवक आशुतोष झा सहित अन्य उपस्थित थे।
नाम भूल गए लोगों को याद आने लगी केरोसिन तेल
- सर्द मौसम में तेजी आने से अलाव जलाने व भोजन पकाने के लिए लोग ढूंढ रहे तेल
-जविप्र के दुकानदारों को अप्रैल माह के बाद से अब तक नहीं हुई है आपूर्ति, कार्डधारकों की परेशानी बढ़ी
सुनील झा/देवघर। किसी जमाने में केरोसिन के भरोसे जीवन गुजारने के लिए विवश रहने वाले लोग आज के जमाने में केरोसिन तेल का नाम यदा कदा ही लेते हैं। केरोसिन के बाजार भाव में तेजी आने के साथ लोगों के सुविधाओं में इजाफा होने के कारण शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के लोग के जुबान पर केरोसिन का नाम यदा कदा ही लिया जाता है। आज के जमाने में अधिकांश लोग गैस, बिजली व कोयला के भरोसे जीवन गुजार रहे हैं। लोग लकड़ी व उपला (गोयठा) के साथ केरोसिन का नाम भी भूल गए हैं। लेकिन आज भी समय पर इसकी महत्ता बरकरार है। लोगों को बिजली के अभाव में शव का अंतिम संस्कार करने, लकड़ी जलाने, मशीन चलाने या सफाई करने आदि में लोगों को केरोसिन की जरूरत पड़ती है। जानकार बताते हैं कि किसी जमाने में सरकार की ओर से जन वितरण प्रणाली के माध्यम से केरोसिन की आपूर्ति लोगों को लोगों को सस्ते दामों पर किया जाता था। समय के साथ केरोसिन के मूल्यों में तेजी आयी और लोग केरोसिन से दूर होने लगे। एक जविप्र दुकानदार ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि सरकार की ओर से सात माह पूर्व तक जनवितरण प्रणाली के माध्यम अनाज के साथ केरोसिन प्रत्येक कार्डधारकों को एक लीटर लगभग 80 से 85 रुपए मूल्य पर आपूर्ति किया गया था। अब हम लोगों को आपूर्ति ही नहीं है तो कार्डधारकों को कहां से दिया जाएगा। आज कार्डधारकों की परेशानी जांच के लिए जब इंडियन पंच संवाददाता सारवां के एक जविप्र दुकान में पहुंचा तो कई कार्डधारकों को निराश व हताश होते देखा। एक कार्डधारक ने पूछने पर बताया कि हम एक लीटर केरोसिन की किमत दो सौ रुपए प्रति लीटर देने के लिए तैयार है लेकिन नहीं मिल रहा है। केरोसिन के अभाव में शव का अंतिम संस्कार करने के लिए कपूर, घी के साथ डीजल व टायर पर निर्भर रहना पड़ रहा है। यहां तक कि घर में लालटेन जलाना भी मुश्किल हो गया है। जानकार लोगों का कहना है कि विडंबना यह है कि बीते अप्रैल 2024 के बाद से अबतक आपूर्ति जनवितरण प्रणाली के दुकानदारों को नहीं किया गया है। एक दुकानदार ने बताया कि पूर्व की अपेक्षा हाल के दिनों में दामों इजाफा होने के साथ कार्डधारकों में मांग कम हुई थी, फिर भी कई कार्डधारकों में नियमित रूप से मांग थी। आपूर्ति नहीं होने के कारण केरोसिन को लेकर लोगों की परेशानी बढ़ी हुई है। फिलहाल अघन यानी नवंबर माह के अंतिम समय के साथ सर्द मौसम भी तेज होने लगा है। लोग अलाव जलाने, लकड़ी पर खाना बनाने सहित अन्य कार्यों के लिए लोग कैरोसिन के लिए जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों सहित इधर उधर भागे फिर रहे हैं, लेकिन उन्हें कैरोसिन नहीं मिल रहा है। केरोसिन के अभाव में लोग गैस सिलेंडर व बिजली के भरोसे भोजन तो बना लेते हैं, लेकिन शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी कई तबका ऐसा है कि आज भी लकड़ी, कोयला व उपला जलाकर भोजन बनाते हैं और बाजार में केरोसिन नहीं मिलने से ऐसे तबकों की परेशानी बढ़ गई है।