कुम्हारों के रोजगार पर पड़ी आधुनिकता की मार
सुधीर कुमार
चकाई। संवाददाता। जलाओ दीए पर रहे ध्यान इतना। अंधेरा धरा पर कहीं रह न जाए…।
रोशनी के पर्व दीपावली से प्रेरित हो इस कविता को रचने वाले कवि को क्या पता था कि वे जिस दीए की बात कर रहे हैं, वह आधुनिक युग में लगभग बाजार से गायब ही हो जाएगा। कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि जिस मिट्टी के दीए यानी दीपक के बगैर रोशनी के पर्व दीपावली की कल्पना नहीं की जा सकती, बदलते वक्त में उसी के निर्माताओं यानी कुम्हारों के घर में छाया अंधेरा साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है। बीते एक-डेढ़ दशक के दौरान ज्यों-ज्यों बिजली के बल्ब और टुन्नी लाइटों का बाजार बढ़ा है, त्यों-त्यों दीपक की लौ से होनी वाली रोशनी मंद पड़ती गई है। चाहे वैज्ञानिक युग की मार कहें या फिर आधुनिक युग की चकाचौंध। बीते 10-15 सालों के दौरान चाक की धार जितनी कम हुई है, कुम्हारों की दिक्कतें उतनी ही बढ़ी है। लिहाजा कुम्हारों की नई पीढ़ी ने अपने पुश्तैनी कारोबार से करीब-करीब तौबा करने का मन बना लिया है।
कुम्भकार बताते हैं कि प्राचीन परंपरा के तहत दीपावली पर लोग दीपक जलाकर चारों तरफ प्रकाश करते थे। उस दौर में पर्यावरण को प्रदूषित करने वाली आतिशबाजी नहीं होती थी। त्रेता युग में भगवान श्रीराम 14 साल के वनवास की अवधि पूरी कर जब वापस अयोध्या लौटे थे, तब लोगों ने उनके (श्रीराम) के स्वागत में दीए जलाकर अपने घरों को रोशन किया था। उन्होंने बताया कि धार्मिक मान्यता के साथ ही दीपावली मनाने का वैज्ञानिक पहलू भी है। इससे हम अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ करते हैं। आतिशबाजी के शोर-शराबों से दूर जब सामूहिक रूप से दीए जलाए जाते हैं तो उसके प्रकाश से निकलने वाली किरणें वातावरण में फैले रोगाणुओं व कीटाणुओं को नष्ट कर देती हैं।
कुछ सालों पहले तक दीपावली पर मिट्टी से बने दीए जलाने का चलन था। दीए और उसमें भरे तेल या घी के बीच रुई की बत्ती की लौ देखते ही बनती थी और लोग दीपावली पर्व को रोशन करते थे, लेकिन बदलते समय के साथ-साथ दीए की जगह चीन निर्मित छोटे (टुन्नी) बल्बों ने ले ली है। आधुनिकता की मार से कुम्हार के चाक की धार धीरे-धीरे कम होती चली जा रही है। मिट्टी के दीए बनाने वालों ने बताया कि पहले लोग सैकड़ों की संख्या में दीए खरीदते थे, वहीं अब गिने-चुने ही दीए खरीदते हैं।
गरीबों की मदद के लिए शुरू किया गया राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस
जमुई। संवाददाता। हर वर्ष 09 नवंबर को राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस मनाया जाता है। सभी नागरिकों के लिए उचित और निष्पक्ष न्याय प्रक्रिया सुनिश्चित करने और जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस मनाया जाता है। सीबीएसई मान्यता प्राप्त प्रसिद्ध निजी शिक्षण संस्थान ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल की बेटियों ने इस दिवस को यादगार बनाने के लिए जागरूकता रैली निकाला। जिला एवं सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र कुमार सिंह ने व्यवहार न्यायालय परिसर से रैली को झंडी दिखाकर रवाना किया। जागरूकता रैली शहर का भ्रमण कर पुन: न्यायालय परिसर पहुंचा और नुक्कड़ नाटक के जरिए राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस को परिभाषित किया।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष सह जिला एवं सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र कुमार सिंह ने न्यायिक पदाधिकारियों, अधिवक्ताओं, कर्मियों के साथ स्कूल की बेटियों को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस सर्वोच्च न्यायालय की ओर से समाज के गरीब और कमजोर वर्ग को सहायता और समर्थन प्रदान करने के लिए आरंभ किया गया है। मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त करने के लिए अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य संविधान के अनुच्छेद 23 में मानव दुर्व्यवहार या बेगार का शिकार व्यक्ति, महिला या बालक, मानसिक रोगी या विकलांग व्यक्ति, अनपेक्षित अभाव जैसे बहुविनाश, जातीय हिंसा, जातीय अत्याचार, बाढ़, सूखा, भूकंप, औद्योगिक श्रमिक, औद्योगिक संकट के शिकार, कारागृह, किशोर, मनोचिकित्सा अस्पताल, मनोचिकित्सीय परिचर्या गृह में अभिरक्षा में रखे गए लोग, ट्रांसजेंडर समुदाय से संबंधित, ऐसे व्यक्ति जिसकी वार्षिक आय तीन लाख रुपये से कम हो, एचआईवी या एड्स से पीड़ित व्यक्ति आदि संबंधित जन मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त करने का अधिकार रखते हैं। विधिक सेवा प्राप्त करने के हकदार व्यक्ति सादे कागज पर आवेदन कर सकते हैं। कहा कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली की ओर से मुफ्त कानूनी सलाह व सहायता के लिए टोल फ्री नंबर 15100 जारी किया गया है। जिला स्तर पर मुफ्त कानूनी सलाह या सहायता के लिए किसी भी कार्य दिवस पर सुबह 10 बजे से शाम 05 बजे तक कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है। इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव राकेश रंजन, एडीजे पवन कुमार समेत कई न्यायिक पदाधिकारी एवं विद्वान अधिवक्ता उपस्थित थे।
स्कूली बच्चों ने लोगों को मिट्टी का दीया जलाने को लेकर किया जागरूक
झाझा। संवाददाता। शुक्रवार को ब्राईट पब्लिक स्कूल धोबियाकुरा के बच्चों ने लोगों के बीच मिट्टी के दीया का उपयोग करने के लिये जागरूकता अभियान चलाया। इस बदलते दौर में दीपावली पर्व पर लोग मिट्टी के दीया की जगह चाईनीज इलेक्ट्रीक लाईट के उपयोग किये जाने को लेकर बच्चों ने लोगों को जागरूक किया। इस दौरान स्कूली बच्चों ने लोगो से अपील किया कि दीपावली का मतलब दीपो की रोशनी से पर्व मनाना होता है। विद्यालय निदेशक पुरूषोतम कुमार ने बताया कि भगवान राम जब अपने घर अयोध्या लौटे तो पूरे राज्य में दीपक जलाया था न किसी अन्य प्रकार की लाईटे तो आज हमलोग क्यों अपनी सभ्यता संस्कृति भूल जाये। आज बदलते दौर में लोग कुम्हारों की भावनाओं के साथ खेल रहे हैं। आज कुम्हार इन पर्व पर यह आश लगाकर दीये बनाते हैं कि दीपावली में उनके दीये अधिक से अधिक बिके और वह भी दो पैसा कमाकर अपने परिवार वालो का पालन पोषण कर सके, लेकिन लोग उनके आशाओं पर पानी फेर रहे हैं। स्कूली बच्चों ने लोगों से कहा कि पर्व की खुशी कुम्हारों के साथ उनकी खुशी बांटकर मनाएं।
अंचलाधिकारी ने बस पड़ाव की जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने का दिया आदेश
चकाई। संवाददाता। चकाई बाजार में जिला परिषद की जमीन पर स्थित निजी बस पड़ाव को तत्काल अतिक्रमण मुक्त करने का निर्देश अंचलाधिकारी राकेश रंजन ने जारी किया। जानकारी देते हुए अंचलाधिकारी राकेश रंजन ने बताया कि जिला परिषद की जमीन पर जितने भी अतिक्रमणकारी हैं उन्हें नोटिस जारी कर दिया गया है। आने वाले समय में उसकी मापी भी की जाएगी। ऐसे में सभी अतिक्रमणकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे जिला परिषद की जमीन को तत्काल खाली कर दें। अगर ऐसा नहीं किया जाएगा तो छठ पूजा के तत्काल बाद प्रशासन की मौजूदगी में जमीन को खाली कराया जाएगा। साथ ही वैसे अतिक्रमणकारियों से हर्जाना भी वसूला जाएगा।
धनतेरस के रंग में रंगा चकाई, खूब हुई खरीददारी
चकाई। संवाददाता। शुक्रवार को चकाई बाजार पूर्ण रूपेण धनतेरस के रंग में रंगा दिखलाई पड़ा। खरीददारों की भीड़ दोपहर बाद से दुकानों पर उमड़ती हुई दिखलाई पड़ी। सबसे ज्यादा भींड़ बर्तनों के दुकानों पर दिखी जहां लोगों ने पीतल, कांसे के साथ-साथ स्टील के बर्तनों की भी खूब खरीददारी की। साथ ही विभिन्न मोटरसाइकिल शो रूम पर भी लोगों की काफी भीड़ थी। यहां भी लोगों ने जी भरकर गाड़ियों की खरीददारी की। साथ ही, ज्वेलरी दुकानों पर भी ग्राहक अच्छी तादाद में दिखलाई पड़े। विशेष रूप से महिलाओं की भींड़ ज्वेलरी दुकानों पर अधिक थी जहां सोने और चांदी के गहनों की खरीददारी की गई। इसके साथ ही आलमीरा, ड्रेसिंग टेबल, सोफा सेट इत्यादि की भी खूब खरीददारी लोगों ने की। हालांकि जिस चीज की खरीद धनतेरस पर सबसे अधिक हुई वह है नारियल का झाड़ू। शायद ही कई घर हो जहां आज नई झाड़ू नहीं पहुंची हो। चकाई बाजार सहित बामदह, बासुकीटांड़, माधोपुर, सरौन, बिचकोड़वा आदि बाजारों में भी झाड़ू खूब बिकी। हालांकि एक दशक पूर्व तक धनतेरस जैसे अवसरों पर चकाई का बाजार फीका ही रहता था लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यहां भी धनतेरस के दिन लोगों द्वारा खरीददारी का प्रचलन बढ़ा है। वहीं ग्राहकों की अधिक भीड़ के कारण चकाई बाजार में दोपहर बाद जगह जगह जाम की स्थित बनी रही।
डीएम और एसपी ने कई छठ घाटों का किया निरीक्षण, दिए निर्देश
छठ घाटों की साफ-सफाई व निर्माण कार्य जल्ड करें पूरा : जिलाधिकारी
जमुई। संवाददाता। जिलाधिकारी राकेश कुमार एवं पुलिस अधीक्षक डॉ. शौर्य सुमन ने संयुक्त रूप से लोक आस्था का महापर्व छठ के अवसर पर व्रतियों को अपेक्षित सुविधा प्रदान करने के लिए शहरी क्षेत्र के विभिन्न छठ घाटों का निरीक्षण किया और विभागीय अधिकारियों को वांछित निर्देश दिए। एसडीएम अभय कुमार तिवारी, नगर परिषद अध्यक्ष मो. हलीम, कार्यपालक पदाधिकारी मृत्युंजय कुमार समेत कई अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे।
जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने किऊल नदी के तट पर अवस्थित हनुमान घाट, त्रिपुरारी घाट, पतनेश्वर घाट आदि छठ घाटों के निर्माण कार्य का अवलोकन किया गया। डीएम ने कहा कि यहां चेंजिंग रूम समेत अन्य निर्माण कार्य शीघ्र पूरा करें। उन्होंने सड़क में गड्ढे को भरे जाने का निर्देश देते हुए कहा कि साफ सफाई भी नियत समय के पूर्व कर लिया जाए। घाट पर पटाखे न फोड़े जाएं। डीजे पर भी प्रतिबंध रहेगा। उन्होंने लटके हुए बिजली के तारों को भी दुरुस्त करने का निर्देश देते हुए कहा कि घाट बन जाने के बाद गहराई के अनुसार घाटों पर सुरक्षा बैरकैडिंग लगाया जाए।
पुलिस अधीक्षक डॉ. शौर्य सुमन ने छठ घाट समेत अन्य वांछित स्थानों पर सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किए जाने का ऐलान किया। उन्होंने संवेदनशील, अति संवेदनशील स्थलों पर खास निगाह रखे जाने की बात बताते हुए कहा कि श्रद्धालु महापर्व को खुशी के माहौल में मनाएं।