मधुपुर/संवाददाता। शहर के पनाहकोला रोड स्थित भारतीय रेडक्रॉस सोसाइटी कार्यालय में रविवार को कार्यकारिणी व सक्रिय सदस्यों की एक बैठक अरविंद कुमार की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक मे सोसायटी के सचिव महेंद्र घोष द्वारा पिछले दिनों किये गये विभिन्न कार्यों का समीक्षा की गयी। इसके अलावा सोसायटी परिसर में नये विद्युत कनेक्शन लेने, मुख्यद्वार पर लॉ-ओपाला द्वारा भव्य तोरण द्वार बनाने की सहमति के साथ जल्द कार्य शुरू करने की निर्णय लिया गया। साथ ही सोसायटी में नए सदस्यों को जोड़ना और सामाजिक कार्य करना आदि विषयों पर चर्चा हुई। मौके पर पूर्व प्रमुख सुबल प्रसाद सिंह, हेमंत नारायण सिंह, अस्तानंद झा, एनुल होदा, रंजन कुमार, मो. सुल्तान उर्फ दिलीप, राकेश वर्मा, सरोज शर्मा आदि मौजूद थे।
सेनानियों की याद में शहीद दिवस व पिता दिवस मनाया गया
मधुपुर/संवाददाता। स्थानीय भेड़वा स्थित राहुल अध्ययन केन्द्र में आजादी के शहीद सेनानियों को शहादत दिवस पर याद किया गया व पिता दिवस मनाया गया।
मौके पर आजादी की पहली लड़ाई सिपाही विद्रोह के शहीद तीन सेनानी अमानत अली, सलामत अली व शेख हारुन की तस्वीर पर माल्यार्पण कर लोगों ने श्रद्धासुमन अर्पित किये। मौके पर जनवादी चिंतक धनंजय प्रसाद ने पिता दिवस पर मेरे पिता, पुस्तक में प्रकाशित अपनी कविता पढ़ा-पिता से ही आशा है, उम्मीद और अभिलाषा है। पिता से हो घर व परिवार की सही परिभाषा है। उन्होंने कहा कि आज किसे याद है-सन सनतावन का सिपाही विद्रोह। सही कहे तो आजादी की वो पहली लड़ाई थी जिसमें तीन देशभक्त सैनानी अमानत अली, सलामत अली व शेख हारुन संताल परगना के सबसे बड़ा गांव रोहिणी मे शहीद हुआ था। उन दिनों देश में आजादी के लिए लोग उबाल पर थे, तुरन्त ही संताल हूल समाप्त हुआ था। लोगों के मन मिजाज आजादी उबाल छा सा गया था। 12 जून की रात रोहिणी में 5वीं इरेगुलर घुड़सवार फौज का शिविर लगा था। जिसमें तीन फौजी अफसर मेजर मेकडोनल, लेफ्टनेट नार्मल ले जेली व सहायक सर्जन डॉ ग्रहम को तीनों देशभक्त सैनानियों ने हाथ में नंगी तलवार लेकर अंग्रेज अधिकारी पर हमला बोल दिया, जिसमे दो अधिकारी घटना स्थल पर मारे गये पर अंग्रेजी सिपाहियों ने तीनों विद्रोहियों को घेर कर पकड़ लिया और आज के ही दिन 16 जून 1857 को रोहिणी के आम बगान के एक पेड़ पर लटकर तीनों देशभक्त स्वतंत्रता सेनानियो को क्रूर अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी पर लटका दिया था। जन्मभूमि पर न्योछावर होने वाले इन क्रांतिकारियों की शहादत से फूटी चिंगारी रोहिणी से निकलकर पूरे देश में फैल गयी, जिसके परिणाम स्वरूप चारों ओर की जनता अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने के लिए उठ खड़ी हुई। अंत में उन्होंने ये समाप्त किया – ऐ शहीदों मुल्क व मिल्लत, तेरे जज्बों से निसार तेरी कुर्बानी की चर्चा गैरों की महफिल में है। उन्होंने कहा ऐसे देशभक्त शहीदों को शहादत दिवस पर याद आना लाजिमी है। अन्य लोगों ने भी श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए अपने उद्गार व्यक्त किये।