मामला कोल स्टॉकयार्ड बनाने के लिए 542 पेड़ों को काटने व लकड़ी हटाने का
कुरूवा स्टेशन के समीप बन रहा स्टॉकयार्ड, विभाग ने जब्त किए पेड़ों का 70 बूट
दुमका/निज संवाददाता। कोल डंपिंग यार्ड के लिए वन विभाग की अनुमति लिए 542 पेड़ पौधे काटना कोल कंपनी को बीजीआर को भारी पड़ गया। वन विभाग ने बुधवार को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में कंपनी के महाप्रबंधक समेत पांच लोगों के खिलाफ ओसीआर केस दर्ज कराया। आसनबनी के वन परिसर पदाधिकारी जितेंद्र प्रसाद सिंह ने वन अधिनियम की 1927 के तहत धारा 41, 42 व 52 के तहत मामला दर्ज कराया है। दर्ज प्राथमिकी में जितेंद्र ने बताया है कि 26 जून को वनरक्षी कमल मुर्मू को पता चला कि करूवा स्टेशन से लेकर आंदीपुर ओवरब्रिज तक कंपनी के अधिकारियों के आदेश पर करीब 542 पेड़ पौधों की कटाई कर लकड़ी को बाहर भेज दिया है। वनरक्षी स्थल पर जांच करने के लिए गया तो एक ट्रैक्टर से लकड़ी के बोटों को बाहर निकालने का प्रयास चल रहा था। टीम को देखकर सभी लोग लकड़ी छोड़कर भाग गए। 70 बोटा को जब्त किया गया है। कंपनी के अधिकारियों ने पेड़ काटने के बाद करीब एक सौ मीटर जमीन को मशीन के माध्यम से समतल भी कर दिया। पेड़ काटने वाले लोगों में अज्ञात लोग शामिल थे। यहां बता दें कि बीजीआर कंपनी कुरूवा स्टेशन के समीप कोल स्टॉकयार्ड बनाना चाहती है। हावड़ा डिवीजन ने इसकी अनुमति भी प्रदान कर दी। यार्ड बनाने के लिए बड़ी संख्या में वहां मौजूद हरे-भरे पेड़ बाधक बन रहे थे। कंपनी के अधिकारियों ने वन विभाग की अनुमति के बिना ही स्थानीय लोगों की मदद से रातोंरात 542 पेड़ पौधे कटवा दिए। इतना ही काटे गये पेड़ों की लकड़ी भी गायब कर दी। 26 जून को मामला सामने आने के बाद डीएफओ सात्विक ने स्थल पर जाकर जांच की। जांच में पता चला कि कंपनी ने बिना अनुमति के सारे पेड़ पौधों को कटवा कर वन विभाग से ट्रांजिट परमिट लिये बिना लकड़ी को वाहनों की मदद से बाहर भेज दिया है।
ये लोग बनाये गये हैं आरोपी )
- महाप्रबंधक मीसा रविद्र, अमड़ापाड़ा
- बी कुमार स्वामी रेडडी, साइट मैनेजर
- उसाला नागार्जुन, इंजीनियर, बीजीआर कंपनी
- मुकेश कुमार, इंजीनियर इस्टर्न रेलवे, रामपुरहाट
- रामबालक महतो, एई, इस्टर्न रेलवे, रामपुरहाट
बारिश से छायी हरियाली
तीन दिनों से हो रही बारिश से सूखी नदियों में पानी भरा
बारिश से किसानों से ली राहत की सांस, धान की बुआई शुरू
कुओं व तालाबों में जमा पानी, सूखे चापाकलों में भी आयी जान
गोपीकांदर/निज संवाददाता। पिछले तीन दिनों से लगातार रुक-रुककर हो रही बारिश से आम लोगों के अलावे किसानों ने राहत की सांस ली है। लगातार हो रही बारिश से किसानों को बीज बुआई से लेकर धान रोपनी की कार्य को आसान कर दिया है। बताया जाता है कि पिछले दिनों जिस प्रकार तेज गर्मी और धूप का प्रकोप था, इससे किसानों का चेहरे पर मायूसी छाई हुई थी। हालात यह थी किसान यह अंदाजा लगा रहे थे कि शायद इस वर्ष भी खेती नहीं हो पाएगी और सुखाड़ की मार झेलने होगी। पिछले तीन दिनों की बारिश ने खेतों में पानी भर दिया है और पूरे इलाके को हरा-भरा कर दिया है। जो किसान बीज की बुआई नहीं कर पाए थे वह अब बीज की बुआई शुरू कर दिया है। गोपीकांदर प्रखंड के ओडमो पंचायत और कुश्चिरा गांव को छूकर गुजरने वाली बासलोई नदी में पानी का जलस्तर भी बढ़ गया है। नदी में पानी का जलस्तर बढ़ने से ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है। तेज गर्मी में बासलोई नदी का पानी भी सुख गई थी। जलस्तर नीचे चले जाने से क्षेत्र के कई गांव में लगे चापानल दम तोड़ दिया था, नदी का जलस्तर बढ़ने से सूखे चापानलों में जान आ गई है। कुओं, डोभा व तालाबों में भी पानी नजर आने लगा है।
367.10 फीट पर पहुंचा मसानजोर डैम का जलस्तर
मसानजोड़/निज संवाददाता। तीन दिनों से रूक-रूक कर हो रही बारिश से मसानजोर डैम का जलस्तर 367.10 फीट पर पहुंच गया है। इस वर्ष भीषण गर्मी और बारिश नहीं होने के कारण इसी महिने मसानजोर डैम का जलस्तर घटकर 366.80 फीट रह गया था। केन्द्रीय जल आयोग के कर्मचारी कमल घोष ने बताया कि मंगलवार के सुबह 8.30 से बुधवार सुबह 8.30 बजे तक 79 एमएम बारिश रेकार्ड किया गया है। यहां बता दें कि डैम का खतरे का निशान 404 फीट पर हैं। वर्तमान में डैम का जलस्तर खतरे के निशान से काफी नीचे हैं। मसानजोर डैम के जलस्तर पर केन्द्रीय जल आयोग नजर रखता है। आयोग ने इसके लिए मसानजोर के अलावा दुमका के महारो और सिद्धेश्वरी नदी पर दुमका जिला के टोंगरा थाना के दक्षिण ओर पश्चिम बंगाल से सटे हुए तातलोई इलाके में अपना कार्यालय खोल रखा है जहां बरसात के मौसम में कर्मचारी तीन पालियों में 24 घंटे ड्यूटी करते हैं।