-मैथन डैम प्रबंधन के खिलाफ समिति गठित कर एकजुट होने की अपील
जामताड़ा/संवाददाता। सदर प्रखंड अंतर्गत नीलदाहा में दर्जनों पंचायत के जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों की बैठक मैथन डैम विस्थापित पीड़ित परिवारों की समस्याओं को लेकर हुई। बैठक की अध्यक्षता ग्राम प्रधान अनिल किस्कू ने की। बैठक में दर्जनों पंचायत के ग्रामीणों ने कहा कि दामोदर घाटी निगम, मैथन बिजली पावर संयत्र स्थापित किए जाने से जामताड़ा क्षेत्र के मैथन डैम के पीड़ित परिवारों की समस्याओं का निराकरण लगभग 48 वर्षों से नहीं होने का गहरा दु:ख है। मैथन डैम पीड़ित परिवारों ने कहा कि उनलोगों के पुरखों की जमीन मैथन बिजली पावर संयत्र बन जाने से पूरी जमीन जलमग्न हो गयी है एवं उनलोग विस्थापित होकर खानाबदोश की जिंदगी जी रहे हैं। जीवन यापन, भरण-पोषण की समस्या से दिन रात जूझ रहे हैं । मैथन बिजली पावर संयत्र के उद्घाटन के मौके पर भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि डीवीसी मैथन डैम विस्थापित पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा एवं पीढ़ी दर पीढ़ी नौकरी दी जाएगी। पीड़ित परिवारों ने कहा कि उनलोगों की जमीन पर बिजली तैयार होने के बावजूद उन्हें बिजली, पानी और अन्य आधारभूत सुविधाओं से वंचित रखा गया है। डीवीसी मैथन डैम बिजली पावर संयंत्र स्थापित किए जाने के लगभग 5 किलोमीटर परिधि में बसने वाले ग्रामीण लोगों को मुफ्त में बिजली, पानी, स्वास्थ्य सुविधा एवं आवास सुविधा मुफ्त देने का ऐलान प्रधानमंत्री ने किया था। सब घोषणा उल्टा एवं गलत होने के विरोध में मैथन डैम विस्थापित पीड़ित परिवार एकजुट होकर आंदोलन करने को बाध्य हुए हैं। जमीन डूब जाने के कारण उनलोग खेती से वंचित हैं। कृषि योग्य भूमि उनलोगों के पास अब कुछ भी नहीं बचा है। बैठक में विशेष रूप से जामताड़ा क्षेत्र के विभिन्न पंचायतों के मुखिया, उपमुखिया, पंचायत समिति सदस्य, वार्ड सदस्य, ग्राम प्रधान, मांझी हड़ाम सहित समाजसेवी, बुद्धिजीवी लोग शामिल हुए एवं डीवीसी मैथन डैम प्रबंधन की दोहरी नीति के खिलाफ एकजुट होकर अपने लंबित अधिकार एवं मुआवजा के लिए एकजुट होकर संघर्ष करने का संकल्प लिया। बैठक में मौजूद जनप्रतिनिधियों, उपस्थित ग्रामीणों एवं मैथन डैम विस्थापित पीड़ित परिवारों ने मैथन डैम विस्थापित संघर्ष समिति जामताड़ा
का गठन किया। जिसके अध्यक्ष देवीसन हांसदा, सचिव शिवधन हांसदा, कोषाध्यक्ष जोसेफ मुर्मू, उपाध्यक्ष रोबिन मरांडी, अशोक मरांडी, अशोक सिंह, उपसचिव परिमल मरांडी, उज्ज्वल मंडल, बाबूजन मरांडी, संगठन मंत्री आबेदिन अंसारी एवं मीडिया प्रभारी गुलजार अंसारी इत्यादि को चुना गया।
मौके पर गुलजार अंसारी, सूर्य मंडल, आबेदिन अंसारी, अरुण मंडल सहित सैकड़ों लोग मौजूद थे।
जीविका और रोजगार का कारगर साधन है देशी पेय
नाला/संवाददाता। मौजूदा गर्मी के इस मौसम में चिलचिलाती धूप और तपिश से जहां आम जनजीवन अस्त व्यस्त हो रहा है। वहीं उन्हें शीतलता प्रदान करने के लिए इन दिनों बाजार से लेकर गांव तक रंग बिरंगी बोतलों में भरा हुआ कोल्ड ड्रिंक्स अति सहज ढंग से लुभाने लगा है। रुपये वाले तो बोतल के ठंडा पेय का सेवन कर चंद क्षणों के लिए राहत का एहसास करते हैं। लेकिन गरीब तबके के लोग अक्सर उस ओर टकटकी लगाए हुए रहते हैं। ऐसी असमानता की स्थिति से निपटने तथा बोतल ब्रांड का समतुल्य पेय पदार्थ बाजार में उतारने के लिए गांव देहात के हुनरमंद हाथों ने भी मिसाल कायम कर रखा है। दरअसल, जामताड़ा जिला सहित संपूर्ण संथालपरगना क्षेत्र में ताड़ पेड़ असंख्य है। प्रकृति प्रदत्त ताड़ के पेड़ इन दिनों रोजगार को बढ़ावा देने एवं सस्ता ठंडा पेय के रूप में कारगर साबित हो रहा है। जैसे-जैसे गर्मी का कहर तेज होने लगा है, ठंडा पेय पदार्थ की आवश्यकता भी उतनी बढ़ती जा रही है। ताड़ के पेड़ से निकलने वाले रस इस गर्मी के मौसम में युवा एवं बुजुर्ग को अनायास ही आकर्षित करने लगा है। यह बात दीगर है कि लोकसमाज में इसे सोमरस, ताड़ रस, ताड़ी एवं देसी जूस के नाम से जाना जाता है। लेकिन गरमी के इस मौसम में ताड़ पेड़ के पास सुबह से ही जुस पीनेवालों की भीड़ लग जाती है। इस प्राकृतिक अनमोल संसाधन को हुनरमंद पेशेवर लोग मादक द्रब्य में तब्दील कर देता है। जिससे बढ़ रही लोकप्रियता व मांग के कारण पीनेवाले और बेचने वालों का नजारा ताड़ पेड़ों के आसपास से लेकर सभी सड़क के किनारे अनायास दिखने लगता है। इससे उदर की पीड़ा शांत होती है, पाचन क्षमता बढ़ती है तथा भूख नहीं लगना, गरमी-लू का प्रभाव आदि अवस्था में हितकारी सिद्ध होता है। वतर्मान समय में इस रस को मादक वस्तु के रूप में सेवन की प्रक्रिया को हानिकारक बताते हुए इससे दूर रहने की सलाह दी गई है। क्षेत्र में हजारों की संख्या में पाये जाने वाले ताड़ के पेड़ों से सिर्फ मकान बनाने तथा गरमी के मौसम में इसके रस से ताड़ी बनाने के काम में उपयोग किया जाता है। ऐसे अनमोल वृक्षों से अगर वैज्ञानिक विधि से रस निकाल कर मिश्री उद्योग को विकसित किया जाता तो क्षेत्रवासियों के लिए जीविका व रोजगार का एक कारगर साधन साबित होता है।
चार दिवसीय बांग्ला कीर्तन अनुष्ठान का भक्तिमय माहौल में हुआ समापन
नाला/संवाददाता। नाला प्रखंड के रघुनाथ चौक गांव में चार दिवसीय बांग्ला कीर्तन अनुष्ठान रविवार को भक्तिमय वातावरण में संपन्न हुआ। बताया गया है कि पिछले 25 सालों से इस अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। इस बार भी सोलह आना रैयतों द्वारा आयोजित इस धार्मिक अनुष्ठान के अंतिम दिन बंगाल-पुरुलिया के कीर्तन शिल्पी बामपद राय ने भगवान श्री कृष्ण का कुंज विलास प्रसंग प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि जहां भी भगवान का गुण कीर्तन किया जाता है। वह स्थान वृंदावनधाम जैसा ही पवित्र माना जाता है। भगवान के द्वारा वृंदावन धाम में किए गए लीला प्रसंग एवं धार्मिक गतिविधियों का शिल्पी ने सचित्र वर्णन किया। जीवन मार्ग में धर्म और सदाचरण का महत्व, भगवान की कृपा पाने के लिए भजन कीर्तन आदि अनमोल वचन के साथ साथ जीव जगत के लिए भगवान के उपदेश भी श्रोता भक्तों को सुनाया गया। इस दौरान राधा कृष्ण के वेशभूषा में उन्होंने चित्ताकर्षक गीत नृत्य भी प्रस्तुत किया। इस धार्मिक नजारे को देख सुनकर उपस्थित श्रोता भक्त भी झूम उठे। जानकारी हो कि बंगाल के नवद्वीप में चैतन्य महाप्रभु का आविर्भाव होने तथा नाला क्षेत्र बंगाल सीमा से सटे हुए रहने के कारण यहां के लोगों में बांग्ला कीर्तन की लोकप्रियता अब भी बरकरार है। श्रोता भक्त देर रात तक बड़े ही समर्पण भाव से कीर्तन रस का आस्वादन करते हैं। कीर्तन अनुष्ठान के अंत में श्रद्धालुओं के बीच भगवान का जयकारा लगाते हुए खीर तथा खिचड़ी प्रसाद का वितरण किया गया। कार्यक्रम की सफलता एवं शांतिपूर्ण संचालन के लिए आयोजक कमेटी के कालोकृष्ण घोष, बिमल कुमार घोष, लाखपति मंडल, दीनबंधु मंडल आदि ने सक्रिय भूमिका निभाई।