मां मंदिर है-मां है पूजा तो वृद्धाश्रम में कौन है, चंडी हूं तो मंडी में कैसे…
मधुपुर/संवाददाता। स्थानीय महेंद्र मुनि सरस्वती शिशु विद्या मंदिर सभागार में रविवार को साहित्य समागम भारत के बैनर तले कवयित्री सम्मेलन का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि साहित्यकार घनश्याम, विशिष्ट अतिथि ममता बनर्जी, संयोजिका डाक्टर सुमन लता, रविशंकर साह, साहित्यकार डॉक्टर उत्तम कुमार पीयूष ने संयुक्त रूप से सम्मेलन का उद्घाटन किया। कार्यक्रम का संचालन किरण राय ने बखूबी किया। मौके पर कविता पाठ करते हुए ज्योत्सना पाठक ने कहा शांत रहूं तो सवाल होता है, कुछ बोलूं तो बवाल होता है। सोनाली भारती ने कहा मां तुम्हारे नाम लिख दूं, कैसे सिर्फ और सिर्फ एक दिन। डॉक्टर पल्लवी ने जब प्यासों का जिक्र निकला गजलल सुनाया। संध्या रानी ने निष्प्राण के शब्द शीर्षक रचना का पाठ किया। अनिता चौधरी ने कहा तुम बिन न कोई हमारा, हर्षाया, इतराया ख्वाब हमारा। शिप्रा झा ने कहा कुछ कहता है कवि मन, घनघोर घटाएं छायी। बाल कविता सुनाते हुए कहा नानाजी मेरे नानाजी पहने उल्टा पायजामा जी। सोनम झा ने कहा मैं चंडी हूं, तो मंडी में कैसे? मां,बहन, बेटियों की गालियां बनाकर परोसा फिर किसने? प्रीति कुमारी ने मंजरी रचना सुनाया। ममता बनर्जी मंजरी ने मातृशक्ति को नमन करते हुए कहा मां मंदिर है मां है पूजा, मां ईश्वर है तो, वृद्धाश्रम में बैठी है वो कौन है।
संगीता झा ने कहा तेरी ममता के आंचल में, मेरा उपवन समाया है। लता रानी ने कहा हमसे महकता है बचपन और सजता है यौवन। डॉक्टर सुमन लता ने सच ही तुमने कोई समझौता नहीं किया। अन्याय, उत्पीड़न से अब कोई समझौता नहीं। मुख्य अतिथि साहित्यकार पर्यावरणविद् घनश्याम ने कहा साहित्य समागम का प्रेरणादायक आयोजन किया गया। स्थानीय स्तर पर किशोरियों को कविता लिखने का अवसर मिलेगा। समाज का अंकुश जब तक बाजार पर नहीं होगा तब तक औरतें आजाद नहीं होगी। उन्होंने मैं नाचना चाहता हूं और गाना भी। हिलमिल गाओ कविता सुनाया। अंत में मधुपुर की दिवंगत कवयित्री कांता सुधाकर और रेणु प्रकाश की रचनाओं को याद करते हुए ने श्रद्धांजलि दी गई।