गरीबों का आशियाना उजाड़कर कोई काम करना न्यायसंगत नहीं
उपायुक्त विशेष टीम गठित कर करवाए मामले की जांच
गिरिडीह। संवाददाता। सामाजिक कार्यकर्ता सह महेशलुंडी पंचायत के मुखिया शिवनाथ साव ने प्रेस बयान जारी कर कहा कि गिरिडीह सीसीएल की ओर से कभी भी महेशलुंडी मौजा में जमीन अधिग्रहण नहीं किया गया है जिसे सीसीएल अपनी जमीन बताता है, वो रैयती खतियानी जमीन है, जो यहां के मूल रैयत का है जिसमें यहां के ग्रामीणों ने वर्षो तक खेती बारी किया है। आज भी महेशलुंडी का सर्वे नक्शा जो 1910-11 में तैयार किया गया है, जिसमें प्लॉट वार सारे खेत आज भी देखा जा सकता है। कहा कि गिरिडीह खनन पदाधिकारी के पत्रांक 1011 दिनांक 31.03.11 जिसमें स्पष्ट रुप से लिखा है कि मेसर्स सीसीएल गिरिडीह को जमीन 7.908 एकड़ जमीन लीज पर दी गई थी। सीसीएल को एनसीडीसी की ओर से खनन पट्टा समर्पित किया गया था। खनन पट्टा क्षेत्र का वर्ष 1973 से 2003 तक 30 वर्षो के लिए पट्टा दिया गया था। सीसीएल की ओर से झारखण्ड उच्च न्यायलय में दायर हलफनामा डबलू.पी. (पीआईएल) 1783/2011 दिया गया है। हलफनामा में सीसीएल की ओर से खुद कहा गया है कि मानवीय सुविधा उपल्ब्ध कराने के लिए निजी मालिको द्वारा कोयला खदान में दवाई की दुकान, विद्यालय, किताब की दुकान, राशन दुकान, दूध दुकान, नाई, धोबी, आदि को लाकर बसाया गया है। जमींदारी के समय से वर्ष 1991 तक सीसीएल गिरिडीह की ओर से लगान लेने का प्रमाण है। महेशलुंडी पंचायत में महुआटांड़, कोलीमारन, केलीबाद, पहाड़ीडीह, पपरवाटांड़, बालोंडिंग, तिनकोणिया, गांव है, जहां सभी को उसी स्थान पर मतदाता पहचान, राशन कार्ड, आधार कार्ड, बिजली कनेक्शन, विद्यालय, स्वास्थ्य केन्द्र, आंगनबाड़ी केन्द्र, सामुदायिक भवन आदि अवस्थित है और लोगों को उसी भूमि पर संवैधानिक मौलिक अधिकार प्राप्त है, जिसे बिना न्यायिक प्रक्रिया किए सीसीएल एवं जिला प्रशासन गिरिडीह की ओर से उजाड़ने का प्रयास किया जा रहा है। लोगों ने खनन करने के लिए अपनी भूमि दिया था ना कि उसे ठेकेदारों से सांठ गांठ कर असंवैधानिक रूप से बड़े बड़े भवन बनाने के लिए। सरकारी भवन बने हम उसका विरोध नहीं करते है, लेकिन गरीबों का आशियाना उजाड़ कर कोई काम करना न्यायसंगत नहीं है। सीसीएल को स्पष्ट करना चाहिए एवं अखबार के माध्यम से विज्ञापन जारी कर बताना चाहिए कि महेशलुंडी मौजा में विभिन्न सरकारी विभागों के लिए कितनी जमीन हस्तांतरित की गई है। महेशलुंडी मौजा में सीसीएल की कितनी भूमि है और कैसे सीसीएल को हासिल है? उन्होंने 13 जुलाई 2023 को सीसीएल व जिला प्रशासन की ओर से की गई कार्रवाई की घोर निन्दा करते हुए दोषी लोगों पर कार्रवाई की मांग की है। कहा कि गिरिडीह सीसीएल मुख्यालय के आस पास, बुढ़ियाखाद, चुंजका, योगीटांड़, बनियाडीह आदि इलाके में बाहर से आकर कई लोग बसे हैं। यहां तक कि गिरिडीह झिंझरी मोहल्ला में हजारों की संख्या में घर मकान बने हैं और नगर निगम में होल्डिंग टैक्स भी सीसीएल भूमि पर अदा कर वास कर रहे हैं। जबकि महेशलुंडी सीसीएल अधिग्रहित भूमि नहीं है और दुर्भावना से प्रेरित होकर अंचल अधिकारी गिरिडीह, अनुमंडल पदाधिकरी गिरिडीह और परियोजना महाप्रबंधक सीसीएल गिरिडीह ने यह कार्य किया है। उन्होंने उपायुक्त से यह मांग कि है कि इस प्रकरण में विशेष टीम गठित कर जांच करायी जाये और दोषियों पर कार्रवाई की जाए, नहीं तो क्षेत्र की जनता के साथ मिलकर उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे, जिसकी सारी जवाबदेही जिला प्रशासन और सीसीएल प्रशासन की होगी।
क्या कहते हैं सीओ
गिरिडीह अंचलाधिकारी रविभूषण प्रसाद ने कहा कि जिस जगह को अतिक्रमण मुक्त कराया गया है, वहां पर सिविल कोर्ट बनना है। उन्होंने बताया कि सीसीएल की ओर से विधिवत रूप से सीसीएल के लिए जमीन को हस्तानान्तरित किया गया है।
हेड क्वार्टर से मिला है परमिशन
प्रभारी परियोजना पदाधिकारी सीसीएल आरपी यादव ने कहा कि सिविल कोर्ट के लिए सीसीएल मुख्यालय रांची से परमिशन मिला है। इसी के आधार पर सिविल कोर्ट के लिए जमीन हस्तानान्तरित की गई है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वरीय अधिकारियों से बात कर पूरे मामले की जानकारी दी जायेगी।