- बैजनाथपुर गांव शव पहुंचते ही माहौल हुआ गमगीन
- कदैय नदी के सिमरिया घाट पर हुआ अंतिम संस्कार
- लोगों ने कहा, कृषि मंत्री के भागीरथी प्रयास से हुई शव की पहचान
- फोन पर पल-पल की जानकारी ले रहे थे कृषि मंत्री : शंकर
देवघर/नगर संवाददाता। उड़ीसा के बालासोर में 2 जून को घटी ट्रेन दुर्घटना की त्रासदी अब लोगों के जेहन से धीरे-धीरे उतर ही रहा था कि आज सोमवार 24 जुलाई को 52 दिन बाद हादसे में मृतक 33 वर्षीय पांचू मांझी का पार्थिव शरीर उसके देवघर जिले के सारवां प्रखंड के बैजनाथपुर गांव पहुंचते ही उस ट्रेन हादसे की याद एक बार फिर ताजा हो उठी। बालासोर ट्रेन हादसे में मारे गए पाचू मांझी की पत्नी करमी देवी और उसके चार छोटे छोटे बच्चे द्वारा पिता और पति का शव देखते चीख पुकार से माहौल गमगीन हो उठा और चारों ओर शोक की लहर दौड़ गई। बता दें कि शव की पहचान नहीं होने के कारण परिजन व गांव के लोग हताश और निराश हो गए थे। लेकिन सूबे के कृषि मंत्री सह जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय विधायक बादल पत्रलेख के भागीरथी प्रयास से परिजनों के डीएनए से शव की पहचान हुई और शव को बालासोर से बैजनाथपुर गांव तक लाने का मार्ग प्रशस्त हुआ। ट्रेन हादसे के शिकार हुए पांचू मांझी के आश्रित को सरकार की ओर से 10 लाख रुपए का मुआवजा भी दिया जाएगा। मृतक अपने पीछे दो पुत्र, दो पुत्री, पत्नी व माता व भाई से भरा-पूरा परिवार छोड़ गया है। मृतक पाचू मांझी पांच भाई और तीन बहन में सबसे छोटा था। उसके पांच भाई में से पांचू मांझी को लेकर तीन भाइयों की मौत हो चुकी है। ज्ञात हो कि तीन दिन पूर्व डीएनए मैच होने पर कृषि मंत्री बादल के निर्देश पर टीम बादल के सदस्यों की तत्परता से मृतक के परिजनों को बालासोर भेजा गया था। आज जब शव गांव पहुंचा तो भारी संख्या में आसपास के ग्रामीण, प्रशासनिक अधिकारी, समाजसेवी, टीम बादल के सदस्यगण व ग्रामीण मौजूद थे। शव पहुंते ही परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था। शव को अंतिम संस्कार हेतु ग्रामीण कदैय नदी के सिमरिया घाट ले गए। लोगों का कहना था कि कृषि मंत्री बादल के भागीरथी प्रयास से ही शव की पहचान हो पाई और शव का अंतिम संस्कार किया गया।
मुख्यमंत्री का प्रयास रहा महत्वपूर्ण : बादल
वहीं कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि सरकार की संवेदना पीड़ित परिवार के साथ है। इस दिशा में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रयास महत्वपूर्ण रहा है। हम दोनों लगातार घटना की जानकारी ले रहे थे। अब तक जरमुंडी, सारवां के कई मृतकों की पहचान कर शव को उनके घर तक पहुंचाने का किया गया है। फिलहाल ट्रेन हादसे के शिकार हुए झारखंड के रामगढ़ व देवघर जिले का 6 शव टेस्ट रिपोर्ट के इंतजार पड़ा हुआ है। जिसे शीघ्र उनके घर तक शव को पहुंचाने व सहायता दिए जाने की दिशा में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व झारखंड सरकार प्रयत्नशील है। दु:ख की इस अपार बेला में हमारी संवेदनाएं मृतक और उनके परिजनों के साथ हैं। व्यस्तता के कारण आज मैं मृतक के घर नहीं पहुंच पाया। लेकिन शीघ्र मैं बैजनाथपुर गांव पहुंच कर मृतक के आश्रित से मुलाकात कर अपनी संवेदना प्रकट कर उचित सरकारी सहायता दिलाने का प्रयास करूंगा। मौके पर प्रखंड विकास पदाधिकारी जहुर आलम, प्रखंड कृषि पदाधिकारी विजय देव, सामाजिक कार्यकर्ता ब्रजभूषण झा, प्रदीप रवानी, टीम बादल के शंकर यादव, कैलाश राउत, महिपाल वर्मा, चंदन, कामदेव रवानी, वीरू यादव, छोटू, नीलेश समेत भारी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।
मुआवजा की राशि से बच्चों को पढ़ा-लिखा कर अफसर बनाऊंगी : करमी
बालासोर ट्रेन हादसा के शिकार हुए पाचू मांझी की पत्नी करमी ने पति को खोने का दर्द बयां करते हुए कहा कि अब तो हमारे पति इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन सरकार की ओर से प्राप्त मुआवजा राशि से बच्चों का पालन पोषण कर पढ़ा-लिखा कर अफसर बनाने का काम करूंगी, ताकि पिता के जैसा बच्चों को मेहनत मजदूरी करने के लिए प्रदेश नहीं जाना पड़े और बच्चों का जीवन सुख में व्यतीत हो। मृतक की पत्नी ने कहा कि मेरे पति के शव की पहचान कराने व मुआवजा राशि दिलाने में सूबे के कृषि मंत्री बादल का बहुत बड़ा हाथ है। उनके इस सहयोग को मैं आजीवन याद रखूंगी।
डीएनए मिलान की सूचना पर टीम बादल के साथ परिजन गए थे बालासोर
मृतक पाचू मांझी का डीएनए टेस्ट से पहचान किए जाने के बाद शव को लाने के लिए टीम बादल के साथ मृतक के परिजन बालासोर गए थे। जहां कागजी कार्रवाई पूरी किए जाने के बाद शव को परिजनों को सौंपा गया और कृषि मंत्री के प्रयास से एंबुलेंस द्वारा शव को बैजनाथपुर गांव तक लाया गया। परिजनों के साथ बालासोर रवाना हुए टीम बादल के सदस्य शंकर यादव ने बताया कि कृषि मंत्री बादल पत्रलेख के प्रयास से घटना के बाद हम परिजनों के साथ तीन बार घटनास्थल पर गए, लेकिन डीएनए टेस्ट के लिए ब्लड सैंपल नहीं लिए जाने के बाद हम सब हताश होकर लौट ही रहे थे कि अचानक कृषि मंत्री ने फोन कर घटना के बारे में हालचाल जाना तो कृषि मंत्री को बताया गया कि यहां ब्लड सैंपल लेने वाला कोई नहीं है। शंकर यादव का कहना था कि हम सब जैसे ही ट्रेन पकड़ने के लिए रोड पर चल ही रहे थे कि किसी मंत्री का फोन आया और उन्होंने घटना के बारे में जानकारी लेने के बाद हम लोगों को उस दिन बालासोर उड़ीसा में ही रुकने को कहा। जिसके बाद दूसरे दिन मृतक के परिजनों का ब्लड सैंपल लिया गया और डीएनए टेस्ट संभव हो पाया। जिससे मृतक की पहचान हुई। उनका कहना था कि अगर कृषि मंत्री नहीं होते तो आज भी मृतक पाचू मांझी का शव गांव नहीं पहुंच पाता। उन्होंने कहा कि इस घटना के सिलसिले में जब जब हम लोग बालासोर गए तब तब कृषि मंत्री फोन कर पल-पल की जानकारी लेते रहे थे। उनके इस सहयोग के लिए हम गांववासी कृषि मंत्री व टीम बादल के सदस्यों का सदा आभारी रहेंगे।